नवरात्रि में पूजा-अर्चना से पाएं मां का आशीर्वाद || Vaibhav Vyas ||

 

|| नवरात्रि में पूजा-अर्चना से पाएं मां का आशीर्वाद || 



हिन्दू धर्म की मान्यताओं में चैत्र नवरात्रि पर्व को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस समय मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा-अर्चना करके मां का आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। चैत्र नवरात्रि का पर्व हिन्दू पंचांग के अनुसार 13 अप्रैल से आरंभ हो रहा है। आमतौर पर नवरात्रि पर लोग पूरे नौ दिन का व्रत रखते हैं, और मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना करते हैं। माना जाता है कि देवी दुर्गा ने अलग-अलग अवतार लेकर राक्षसों का अंत किया था और भक्त उन्हें इन्हीं रूपों में पूजते हैं। हर अवतार में मां शक्ति की विजय गाथा छिपी हुई है। नवरात्रि के नौ दिनों को बहुत ही शुभ माना जाता है। व्रत के दौरान नौ दिनों तक लोग शुद्ध सात्विकता के साथ नवरात्र के दौरान बहुत से भक्त उपवास रखते हैं। नवरात्रि के पर्व में नियम, अनुशासन और मुहूर्त का विशेष महत्व बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि नियमों का पालन और विधि पूर्वक पूजा करने से मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है। मां दुर्गा को शक्ति का रूप माना गया है। माना जाता है मां दुर्गा प्रसन्न होने पर भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।

नवरात्र पर्व की शुरुआत सबसे पहले कलश पूजन के साथ की जाती है। कलश की पूजा विधि में मिट्टी के पात्र में सात प्रकार के अनाज को मां दुर्गा का स्मरण करते हुए बोएं. इसके बाद इस पात्र के ऊपर कलश की स्थापना करें। कलश में जल और गंगाजल को मिलाकर भर दें। कलश पर कलावा बांधें, कलश के मुख पर आम या अशोक के पत्ते रख दें। इसके उपरांत जटायुक्त नारियल में कलावा को बांध दें, लाल कपड़े में नारियल को लपेट कर कलश के ऊपर रखें। सभी देवी देवताओं का आह्वान करें।

घटस्थापना का महत्व: घट स्थापना करते समय मुहूर्त का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस बार मुहूर्त सुबह 5 बजकर 28 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 14 मिनट तक रहने वाला है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नवरात्रि के दौरान कलश स्थापना शुभ फलकारी माना गया है। नवरात्रि के दौरान मां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है।

मां की पूजा-उपासना में भक्ति भाव के साथ-साथ शुद्ध-सात्विकता के साथ की गई पूजा-अर्चना शीघ्र फलदायी मानी गई है।

Comments