शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य || Vaibhav Vyas

       व्यक्ति अपने रुटिन में कई बार मोर्निंग एक्सरसाइज को और योगा-प्राणायाम को जगह देता है। इसके साथ कई बार सुबह-सुबह टहलने जाता है, इवनिंग में घूमने जाता है। जब ऑफिस में टी टाइम या लंच के समय होता है तो वहां पर भी अपने कलिग के साथ ब्रेक लेकर बातचीत करता है। ये सारी ही प्रक्रियाएं अपने जीवन में रुटिन के साथ में अपनाता है तो वहीं कोई रविवार का दिन सामने हो तो वहां पर अपने परिचितों के साथ में घूमने-फिरने जाता है। किन्तु उस सारे ही माहौल में अपने शारीरिक स्वास्थ्य का ख्याल तो रखता है किन्तु मानसिक स्तर पर वो ही चिंताओं से भरे हुए विचार है। कई बार उन लोगों के साथ में दोहराने की प्रक्रिया चलती रहती है। आप अपने हम उम्र व्यक्ति के साथ में टहलने गए, विचार क्या चल रहे हैं। विचार वो ही कामकाज को लेकर है। पारिवारिक जिम्मेदारियों को लेकर है। किसने कौन सा घर ले लिया, फ्लैट ले लिया, गाड़ी ले ली, बैंक बैलेंस बढ़ा लिया। कैसे रिटायरमेंट की प्लानिंग कर रहा है। वहां लगातार हम दोहराते चले जाते हैं किन्तु इसी प्रक्रिया एक और बात गौर करके चलें कि ऐसी सारी ही स्थितियों के साथ में हम अपने मानसिक स्तर को कुछ नया देने वाले नहीं होते। जो स्थितियां चल रही है बारम्बार उसके साथ में ही चिंताओं का दोहराव करते हैं। इसके वनस्पति व्यक्ति का एक छोटा-सा प्रयोग अपने साथ करे। कोई उसके घर परिवार के साथ में, मोहल्ले या सोसायटी के साथ रहने वाले बच्चे होते हैं। उनके साथ में घूमने फिरने निकलिये। देखियेगा वो दो से तीन दिन घुलने मिलने में लगाएंगे। संकोच अनुभव करेंगे, किन्तु धीरे-धीरे उनके विचार सामने आने की शुरुआत होगी। वो इस दुनिया के बारे में क्या सोचते हैं, खेलकूद, शिक्षा के बारे में, जीवन के बारे में दर्शन कैसे बनता है। वो आपको रोचकता अनुभव देने वाला होगा। अपनी हाल ही सोच से निकलकर जब आप उनके साथ ऐसी प्रक्रियाओं में जुड़ते हैं तो मन एक अलग संतुष्टि प्राप्त करता है। इसी गहराई से देखिये, अगर आप उनसे यह नहीं पूछे, आप शिक्षा कैसे ग्रहण करने वाले होंगे, क्या बनना चाहते हो, आगे आने वाली जिंदगी कैसे संघर्षों के साथ होगी, इन-इन बातों का ख्याल रखो। कुछ देर के लिए ऐसी सारी ज्ञान की स्थितियों का अनुभव नहीं बांटा जाए और सहज प्रवृतियों के साथ में यदि जुड़ा जाए तो आपका मन भी एक सरलता का अनुभव करने लगता है और बारम्बार व्यग्रताएं साथ में चल रही है उससे मुक्त होकर आप एक नई सोच की ओर जाने की शुरुआत करते हैं। ये छोटे छोटे प्रयोग हैं। जो जीवन में बदलाव की सार्थकता को लेकर आते हैं। आपको एक नया आईना दिखाने वाले होते हैं। और यहीं से जीवन रुचिकर आधार की ओर जाने वाला होता है। ऐसे बदलावों के साथ में चलते हुए आप देखेंगे कि स्वयं जो बारम्बार एक ही विचार के साथ में हम शिथिलता का अनुभव कर रहे हैं उससे मुक्त भी हो पाएंगे और ये जो आने वाली पीढ़ी है। दुनिया के बारे में क्या सोच रही है। और वो अपनी व्यवस्थित स्थितियों से दूर हटकर कौन से इनोवेटिव प्रोग्रेस की तरफ है, वो समझने में भी काफी हद तक जागरूकता का अनुभव होगा। ये रविवार का दिन है। आप ऐसी शुरुआत करके देखियेगा।

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