कुण्डली का नवम भाव या आध्यात्मिकता ।

 खेल की भाषा में कहा जाता है कि मैन इन द फॉर्म अभी प्रफार्म कर रहे हैं वहीं कामकाज में भी कहा जाता है कि अभी आपकी रिदम बहुत शानदार बनी हुई है। पिछले डेढ़ दो महीने से प्रोडेक्टिविटी  शानदाार है, एक अलग ऊर्जा के साथ आप चल रहे हैं। कई बार स्वयं के साथ भी महसूस करते हैं जो कामकाज बड़ी आसानी से कर रहे थे, वो अभी पूर्णता की ओर जा ही नहीं पा रहा है, लगता है कि हम अपने फ्लो को मेंटन नहीं कर पा रहे हैं। कहीं--न-कहीं कमी है जो भीतर तक चल रही है। इसी के साथ में कई बार रोचक प्रश्न हमारे सामने निकलकर आता है। उसी फ्लो के साथ जुड़ा हुआ है। लोग कहते हैं कि जब हम एग्रेसन के साथ, गुस्से में है, तो फ्लो में क्या बोल रहे हैं, मालूम ही नहीं चलता। वहां जब नवम भाव या आध्यात्मिकता की चर्चा करते हैं, वो सब कुछ गौण हो जाती है। गृहस्थ के साथ टकराव आया, आपने कहा सामंजस्य रखिये, किन्तु फ्लो के साथ है, तो सामंजस्य रहगा कहां से। हम व्यापारिक जीवन में है, एक व्यक्ति रुपये-पैसे अटका कर बैठा था, जब निर्णय लिया था तब फ्लो में थे, आज जब फ्लो में होते हैं तो उसे क्या बोल जाते हैं, पता ही नहीं चलता। रुपया पैसा तो निकल जाते हैं, किन्तु संबंध खराब हो जाते हैं। ये स्थितियां प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में आती है। ये फ्लो सकारात्मकता भी करता है तो कई बार नकारात्मकता भी कर देता है कि स्वयं की सोच के साथ एक संकीर्णता को और एक तरह गिल्ट को अनुभव करने लगता है। 

आध्यात्मिकता का जो चिंतन स्वरूप है, कई बार आपके इसी फ्लो को तोडऩे में मदद करता है। आप अपने किसी उच्च अधिकारी के साथ एक छोटी-सी टकराव के साथ चलते हैं, पुरानी जितनी बातें है वो सामने आती है और आप वहीं से एक फ्लो के अंदर आ जाते हैं। दिमाग लगातार वही सामग्री परोसता है जो कि पीछे छूट चुकी थी, किन्तु हम मजबूर है कि फ्लो के साथ है। वहीं आध्यात्मिकता के चिंतन को भीतर लाइये, क्या इस फ्लो को जोड़ा जा सकता है वहीं से आपको मोड़ दिख जाएगा। आप गृहस्थ के साथ ऐसी स्थितियों में है जहां सारी पुरानी बातें ला रहे हैं, कुछ समय वो गलती हुई थी, उस वर्ष आपने यह दोहराया था, मैं कितना शांत रहा था, व्यक्ति न्याय के साथ चलता हुआ तारीखों का बहुत बड़ा सहयोग और ताना-बाना बुनने की ओर जाता है। वहीं पर उन सारी ही बातों को हटाकर व्यक्ति एक बार अपने फ्लो को चेंज कर दे कि और यह कह दे हमसे गलती हुई। आप बिलकुल सही है। मैं यहां पर अपनी गलती स्वीकार करता हूं। आपने फ्लो चेंज किया, वहीं से पोजीशन चेंज होकर सामने आ गई। वहीं नौकरी पेशा जीवन में कहा गया कि आप एक नई नौकरी ढूंढ लीजिये, आप फस्र्टेशन में सोचते हैं कि अब क्या होगा। वहीं उसी समय के साथ में आप ये सोच लीजिये तीन से चार महीनों के बाद जो आज स्थिति रही है वही रहेगी। 

आज जो हम अपने उच्च अधिकारी के बारे में सोच रहे हैं, क्या कल भी यही सोच रहे थे, कल भी वही सोचने वाले होंगे। कई बार व्यक्ति जॉब में होता है, बिजनेस के बेस को बनाता है, क्या संबंध एक बार बिगड़े थे फिर बिगड़े हुए हैं नहीं। जैसे ही आप उस घेरे से बाहर निकलते हैं तो मालूम चलता है कि ये तो प्रोफेशनल लाइफ के हिस्से हैं। यही पर आध्यात्मिकता का एसेंस जीवन में उतरने लगता है, जो प्रगतिशीलता के आधार बनाता है। कई बार आध्यात्मिकता आपके आनंद के चरमोत्कर्ष को देती है, तो कई बार आप जब एक तरह से निरन्तर अग्रसर होकर अपनी बातचीत को गुस्से में कहते हैं वहीं पर आध्यात्मिकता आपके फ्लो को तोड़ भी सकती है। ये प्रयोग जब व्यक्ति जीवन में करने लगता है तो एक नई रोशनी आने लगती है और आप स्थितप्रज्ञ होकर अपने भीतर दूसरी स्थितियों को देख पाते हैं, जो एक भौतिकता के साथ है और एक आध्यात्मिकता के चिंतन स्वरूप में है।

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