नाम का प्रभाव ।

अक्सर बच्चों को शुरुआत से ही यह बताया जाता है कि किसी कामकाज को सौंपते वक्त। वहां जाकर उनका नाम ले लेना। किसी स्कूल में है तो वहां पर भी एक परिचय निकाला जाता है जिससे कि उसकी शिक्षा में या किसी और क्षेत्र में सहूलियत रहे। धीरे-धीरे ही ये स्थिति एक आदत बन जाती है। घर-परिवार में जो भी प्रभावशाली व्यक्ति है, सीधा उसका नाम पहले रखा जाता है और वो भी अपना परिचय देने के पहले की स्थितियों में वो नाम सामने आता है। हम जिस कार्य क्षेत्र के साथ जुड़े हुए हैं वहां पर भी लोग कई बार ऐसी स्थितियों के साथ में आते हैं। वो हमारे रिश्तेदार हैं, वो हमारे चाचाजी हैं, वो ऐसी स्थितियों के साथ में इतने लम्बे समय तक रहे हैं। इसमें कुछ भी गलत नहीं है और वैसा गलत मानता भी नहीं हूं। न ही इसे कोई और गलत मानता है। किन्तु व्यक्ति अपना परिचय धीरे-धीरे खोने लगता है और ऐसे नाम की आभा में जो आप कर सकते हैं वो बहुत पीछे छूट जाता है। बच्चों के बचपन के साथ में चलती हुई जो स्थितियां होती है इन सारी ही बातों का प्रभाव उन पर बहुत गहरे तरीके से निकलकर सामने आता है। और उसी प्रभाव की चकाचौंध में, उसी नाम के यूसेज के साथ में वो अपना वजूद का स्तर है उसको कई बार खोते चले जाता है। 

हम क्या है? हम क्या कर सकते हैं? जो भी कार्य कर रहे हैं उसके अंदर स्किल है। हम जो कर चुके हैं उसके साथ में भी एक तरह से मान और सम्मान की स्थितियां बनी रहे। यकीन मानिये, वो परिचय हमारे लिए एक बहुत बड़े वृहद स्तर के साथ में है जहां कुछ और सोचने की या जहां कुछ और कहने की आवश्यकताएं नहीं है। जरूरी नहीं है कि हरेक व्यक्ति उतने ही प्रभाव के साथ में चल रहा हो, किन्तु आप अपना प्रभाव वहां जाकर उत्पन्न कर सकते हैं। अपनी स्थितियों को बहुत अच्छे से बना सकते हैं। 

जब भी आप किसी भी नाम या रेफरेंस की चमक-दमक के साथ किसी आर्गेनाइजेशन में जाते हैं जो आपके कामकाज का प्रभाव है वो बाद में देखा जाएगा। उस नाम के प्रभाव की वजह से जो भी सम्मान मिलता है, जो भी स्थितियां मिलती है वो बहुत अलग है। बशर्ते आप वहां पर गए और अपने काम की वजह से एक तरह से अपनी स्थितियों को बनाया, मजबूत किया तो वहां एक तरह से उदाहरण सैट करने वाले होंगे। अपनी स्थितियों को अलग तरीके से लेकर चलेंगे। स्कूल, कालेज में गया, नाम का प्रभाव साथ में नहीं है, आपने जो कुछ, जो मेहनत की उसकी चमक-दमक है। 

जब भी उस समय गुरुजनों से मिले तो ये मालूम चलता है कि इस बच्चे ने अपनी ताकत के साथ बहुत कुछ हासिल किया है। किसी नाम की आवश्यकता नहीं रही। तो ये स्थितियां एक बहुत बड़ा संचय है जीवन का। जिसके साथ हम चलें। नाम के प्रभाव से कहीं पर भी नकारात्मकता उत्पन्न नहीं होती। किन्तु जब उस नाम की आभा के साथ में पूरा ही जीवन चलने लगता है तो वहां कई बार एक नकारात्मकता जन्म लेने लगती है।

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