मन में विचारों का आना ।

 हमने अपने आसपास और स्वयं के साथ भी इस बात को कई बार महसूस किया है कि एक व्यक्ति का सफल व्यापार कोई व्यक्ति देखता है और कहता है कि ऐसा ही विचार आज से वर्षों पूर्व मेरे मन में भी आया था। लगा था कि इस कार्य की ओर जाता हूं, थोड़ा-सा जोखिम है। नौकरी पेशा जीवन को एक तरफ करता हूं और अब केलकुलेशन के साथ में बढ़ते हुए न जाने कितना कुछ हासिल कर जाऊंगा। किन्तु वहां पर हम एक तरह से जोखिम ले ही नहीं पाए और आज उस सफल व्यक्ति के व्यापार को देखकर पुन: उसी विचार उद्वग्नि और परेशान हो रहे हैं। ऐसी स्थितियां किसी जमीन के साथ निकलकर आती है। वो आज जमीन आज से पच्चीस वर्ष पूर्व देखी थी, फ्लैट देखा था, आज उसकी कीमत आसमान छू रही है। किन्तु उस समय हम हिम्मत नहीं कर पाए। ऐसी स्थितियां नौकरी पेशा जीवन में परिवर्तन के साथ भी सामने आती है, वहां उस समय कोई ऑफर आया, स्वीकार कर सकते हैं, किन्तु कन्फर्ट जोन को कैसे छोड़ेंगे। ये प्रवृतियां बारम्बार हमारे जीवन में सामने आती है। और हम खुद को परेशान करते चले जाते हैं।

 विचार मन में लगातार आते हैं। मानवीय जीवन है। बहुत कुछ देखता है, समझता है, अन्वेषण करता है और चलता रहता है। रात को विचार आया और सुबह तक वह विचार गौण हो गया। किसी के साथ में उस विचार को साझा किया और उसने कहा कि ये कार्य आपके लायक नहीं है या फिर कई लोग इसमें भाग्य आजमा कर देख चुके हैं, कहीं पर भी नहीं पहुंचे। मेरी मानें तो इसे आप दूर रहेंगे तो बेहतरी रहेगी। ये विचार लगातार हमारे मन में आते हैं। आप भी कुछ बड़ा करने की जो प्रक्रिया होती है वो उसी तरह शून्य होती चली जाती है। सबसे प्रमुख जरिया ये है कि आपके मन में किसी भी कार्य को लेकर पारिवारिक स्तर को लेकर या किसी निवेश को लेकर कोई विचार आया। उसके साथ में व्यक्ति कितनी लम्बी यात्रा को अपने साथ तय कर रहा है, वो विचार इतने दिनों तक आपके भीतर लगातार संघर्ष के आधार को लेता है। आप उसकी सकारात्मकता के बारे में विचार करते हैं, नकारात्मकता के बारे में भी सोचते हैं और अंततोगत्वा निर्णय लेने की ओर जाते हैं। 

आप किसी भी लेखन संबंधी आधार पर जुड़े हुए व्यक्ति से पूछे उसके मन में एक कहानी का बेस बनता है तो वो कई दिनों तक उस कहानी के साथ स्वयं को लेकर चलता है। अलग-अलग किरदारों के साथ स्वयं को रखकर देखता है कि उनकी सोच क्या हो सकती है। और फिर इस पूरी प्रक्रिया के बाद में ही अंततोगत्वा वो लिखने की शुरुआत करता है और उसके बाद कहीं पर भी रुकता नहीं है। वजह यह है कि उसने अपने विचारों को लगातार कहानी के साथ परिपक्वत होने दिया। और यही परिपक्वता मन में आ गई तो यकीन मानिये, जो आप सोच रहे हैं, जो थोट प्रोसेस इनोवेटिव फ्रेम आ पाया है वो सफलता के आधार को आज नहीं तो कल आपके सम्मुख लाकर रख सकता है। किन्तु विचारों के साथ कई दिनों तक व्यतीत करने की आवश्यकताएं होती है।

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