स्वयं को किस प्रकार से तनाव मुक्त किया जाये ।

 हम बोलचाल की भाषा में कई बार कहा जाता है कि आप यहां गुस्सा करके अपना ब्लड प्रेशर नहीं बढ़ाइये। व्यक्ति ये जानता है कि मानसिक स्तर पर जो भी स्थितियां सामने है वो शारीरिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डालने वाली होती है। उम्र बढ़ रही है उसके साथ कितनी टेबलेट्स बढ़ रही है। ये समझने की आवश्यकता है। उम्र अपने स्वीकारोक्ति के साथ आगे बढ़ेगी, 45, 50 या 55 वर्ष के साथ चलती चली जाएगी, किन्तु इसके साथ में आप यदि इस बात पर प्रत्येक दिन गौर करते हैं कि आज किस बात की वजह से तनाव आया। कहां कहां तनाव से बच सकता है। कहां इग्नोरेंस की एप्रोच को बढ़ाकर खुद को सुकून दे सकता था। दूसरे लोग चल रहे हैं, मैंने गाइड कर दिया किन्तु उस जगह कार्य नहीं कर सकता ये समझने की आवश्यकता होती है। आपने अपने नौकरी पेशा जीवन की शुरुआत की। सजगता के साथ चले। वहां युवावस्था थी। चलते चले गए। किन्तु पांच से दस वर्षों के अनुभवों के बाद ये समझने की आवश्यकता है कि प्रत्येक व्यक्ति की सोच को बदलना आपके लिए संभव नहीं है। आप उदाहरण दे सकते हैं। 

आप उनको जीवन के साथ दर्शन से जोड़कर ये बता सकते हैं कि मैंने किस तरह से यहां तक का मुकाम एचीव किया है। किन्तु उस व्यक्ति की गलतियों की वजह से खुद को लगातार स्ट्रेस में लेकर चलना आपके लिए बीमारियों को जन्म देने वाला एक आधार बन जाता है। ग्रहीय व्यवस्थाओं में मंगल की अंतर दशा आएगी उस अंतरदशा के साथ में आपकी एग्रेसिवनेस बढ़ी हुई है। तो वहीं शारीरिक स्वास्थ्य के साथ में भी मंगल षष्ठ के साथ गहरा जुड़ाव रखते हैं। आप लगातार स्ट्रेस लेवल को बढ़ाते हैं तो वहीं से आप देखिये, ब्लड प्रेशर जैसी समस्याएं जन्म लेने लगती है। 

व्यक्ति जानता है कि यहां से ये तनाव मुझे दूसरे रास्ते की ओर लेकर जा रहा है, इससे बचने की दरकार है, किन्तु फिर भी खुद को समझा नहीं पाता। परेशान करता चला जाता है। तो इसी वजह से पुन: दोहरा रहा हूं कि उम्र बढ़े, किन्तु हम उन मेडिकल टेबलट्स को बढ़ाने वाले नहीं हो जो जीवन की नितांत आवश्यकता बनती चली जाती है। उसके लिए तनाव मुक्त होने की आवश्यकता है। उसके लिए प्रत्येक दिन अपने जीवन को पुन: एक बार समझने की आवश्यकता है जो दिन समाप्ति की ओर अग्रसर होता है वो यदि फस्र्टेशन के साथ में ही बीते और रात को भी उलझनों के साथ में ही वो एक बार रि-थिंकिंग की प्रोसेस की ओर जाइये कहीं न कहीं चिंताएं हैं उससे कैसे मुक्त हुआ जा सकता है। या कैसे बारम्बार भावी भविष्य की उलझनों को रिवाइज करने वाले नहीं हो। इस बात पर जब व्यक्ति गौर करेगा तो शारीरिक स्वास्थ्य के अंदर कहीं न कहीं मजबूती लेकर आने वाला होगा। 

आप योग की तरफ जा रहे हैं, प्राणायाम की ओर जा रहे हैं, आप शारीरिक स्तर पर उन सारी स्थितियों को लेकर चल रहे हैं जो मानसिक और शारीरिक दृढ़ता को देती है। इसके अलावा ऐसी पोजीशन के बारे में भी रि थिंक करने की आवश्यकता है जो आपके चिंताओं से दूर कर पाए। इस मूल मंत्र को भी आप अपने साथ में जरूर रखने वाले हों।

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