तनाव ।

 तनाव, मेंटल स्ट्रेस।  यह पूरी ही जिंदगी व्यक्ति के साथ एक हिस्सेदारी निभाता हुआ नाम है। व्यक्ति दसवीं और बारहवीं के साथ ग्रेजूएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन की ओर हो, इंटरव्यू की ओर हो, नौकरी पेशा जीवन में अल्टीमेटम मिल गया हो कि यहां तक कार्य पूरा करना है अन्यथा नौकरी पर बन सकती है। व्यापारिक जीवन में भी ऐसी स्थितियां आती है जहां व्यक्ति उस स्थिति के अलावा कुछ और देख ही नहीं पाता। उसके सामने जीवन नहीं होता सिर्फ और सिर्फ तनाव होता है। संभावनाएं तनाव के साथ जुड़ी हुई, धारणा तनाव के साथ जुड़ी हुई है, किसी के द्वारा कही गई बात भी तनाव से जुड़ हुई वो सिर्फ और सिर्फ मानसिक स्तर पर प्रसार-प्रचार करती स्थितियां ही नजर आती है। आप देखिये, दसवीं और बारहवीं में होता है कई तरह के मानसिक तनाव के साथ में वो गुजरता है। और एक समय के साथ ये लगने लगता है कि यहां बेहतर प्रफार्म नहीं किया तो शायद जिंदगी में आगे कुछ कर ही नहीं पाएंगे। वो ही स्थिति किसी निर्णायक इंटरव्यू की ओर आती है जहां बेहतर नहीं कर पाए। ये मौका यदि हाथ से निकल गया तो अब कहीं पहुंचने की गुंजाइश रह ही नहीं जाएगी। 

आप याद कीजियेगा ऐसे क्षणों को जीवन के अंदर। प्रत्येक व्यक्ति दसवीं बारहवीं के क्षणों के साथ निकला उसके बाद ग्रेजुएशन या इंटरव्यू की ओर गया। कई निर्णायक स्थितियां हमको नजर आती थी, बहुत बौनी साबित होती है जीवन के सामने। जीवन की संभावनाएं बहुत वृहद है। और उसी के साथ व्यक्ति चलता है। किन्तु खुद को कई बार इतना संकुचित कर देता है कि अपनी धारणाओं के साथ बंध जाता है कि उसको लगने लगता है कि इसके बाहर कुछ है ही नहीं। जो भी व्यक्ति आसपास मानसिक तनाव में हो, उसके साथ बातचीत करने की आवश्यकता है। वो भी यह भी जाने यदि एक द्वार बंद हो रहा है तो न जाने कितनी उम्मीद की किरणें दूसरे द्वार के साथ खड़ी होगी। आप किसी भी समय, किसी भी क्षण जीवन में बड़ा बनाएंगे वहां स्वयं के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के ऊपर बहुत बड़ा नकारात्मक प्रभाव डालने वाले होंगे। ऐसी स्थितियों से बचना चाहिए। व्यक्ति कई बार बैठकर यह सोचे कि इस नौकरी में ज्यादा से ज्यादा क्या नकारात्मक हो सकता है। इसके बाद में मेरे हाथ में क्या है। दसवीं और बारहवीं की परीक्षा के साथ चल रहा व्यक्ति ऐसे लोगों से बातचीत करे जिन्होंने अच्छा खासा संघर्ष किया और बाहर निकले। वहां औसत दर्जे के साथ चले और उसके बाद में भी समय और दशाओं के साथ में चलते हुए अपने जीवन को शीर्षस्थ स्थान दिया। वजह यह थी कि उन्होंने उस समय अपने जीवन को और संभावनाओं को ही बड़ा माना। 

जो समय उस क्षण के साथ में चल रहा था उसको कतई बड़ा मानने की स्थितियों की ओर नहीं गए। तो इसी वजह से जीवन प्रत्येक क्षण नई उम्मीदें जगाता है आप उसके साथ चलिये। तनाव है, जीवन में बारम्बार आएंगे, रहेंगे, किन्तु व्यक्ति जब भी उसको जीवन से बड़ा कर जाएगा वहीं पर स्वयं के लिए अवसाद की स्थितियों को निर्मित करता चला जाएगा। यहां महीने की शुरुआत है और हम जब ऐसी सोच के साथ में चलते हैं तो स्वयं को सकारात्मक करने लगते हैं। आगामी महीने परीक्षाओं के साथ चलने वाले होंगे। परीक्षाएं जीवन की हिस्सेदारी है जो लगातार चलेगी। जो सीखा और समझा और अनुभव हासिल किया आप उसको कलम के साथ पन्नों के ऊपर उकेरने की परीक्षाएं है किन्तु जीवन रूपी विश्वविद्यालय में ऐसी स्थितियां बार-बार आती है जहां अनुभवों के साथ चलना होता है। जहां सोच के साथ चलना होता है वहां कुछ लिखने की आवश्यकता नहीं है। आपका कर्म निरन्तर एक अमिट छाप छोड़ता चला जाता है। हम उस क्षण कितनी सजगता के साथ चल रहे हैं इस पर बहुत बड़ी निर्भरता रहती है।

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