सफलता प्राप्त करने के लिये धैर्य का होना आवश्यक है ।

मुझे कौन स्वीकार करेगा? मुझे कौन यहां देखने बैठा है? मुझे कौन नोटिस करेगा यदि मैं ये कामकाज की शुरुआत करता हूं तो। ये इनोवेशन है जरूर। न जाने कितने लोग और इस क्षेत्र में प्रवेश कर चुके हैं। अपना हाथ आजमा चुके हैं। लेकिन पहुंचे कहीं पर भी नहीं। विचार भीतर आते हैं, मैं लिखता भी हूं, किन्तु असंख्य किताबें लिखी गई है, मेरी जगह बना पाएगी या नहीं बना पाएगी। ज्योतिषीय क्षेत्रों के साथ वर्षों का अनुभव लेकर चल रहा हूं, अब लोगों के सामने आना चाहता हूं। न जाने कितने लोग कार्यक्रम बनाते हैं, मैं जगह बना पाऊंगा या नहीं। ये संशय के घेरे हैं जिनसे आजाद होने की आवश्यकता है। 

हम अपने कार्य को कितनी निष्ठा के साथ कर रहे हैं, उसके पहले आवश्यकता यह है कि हम स्वयं पर विश्वास कितना कर रहे हैं। हम नौकरी पेशा जीवन से व्यापार की ओर जाने की इच्छा वर्षों से रख रहे हैं, किन्तु निर्णय नहीं ले पा रहे हैं। वजह उसके पीछे सिर्फ इतनी सी है कि हम पारिवारिक स्थितियों से घिरे हैं, वो एक बात है, किन्तु हम अपनी रचनात्मकता को जीवित रखे हुए हैं या नहीं। हम अपनी जो क्रियेटिव प्रोग्रेस के साथ चल रहे हैं या नहीं। ये सबसे महत्वपूर्ण है। आप जब भी ये सोचें और आप जब भी इस कुंठा के साथ चल रहे हों कि मुझे कौन स्वीकार करेगा। सबसे पहले इस बात को समझने की आवश्यकता है कि क्या हमने स्वयं को स्वीकार कर लिया है। और यदि हमने स्वयं को स्वीकार कर लिया है तो उसके बाद किसी और की स्वीकारोक्ति की आवश्यकता रहती ही नहीं है। 

व्यक्ति इसी गफलत और ऊहापोह में जिंदगी निकाल देती है। आप न जाने कितने हुनर भीतर लेकर बैठे होते हैं। किसी ज्योतिषीय के पास पहुंचते हैं, वो कहता है कि आपके साथ इंटरेन्सिंग यानि मूलभूत प्रकृति है जिसके साथ बढऩा चाहिए। आप विश्वास करते हैं, मंथन भी करते हैं किन्तु दो से तीन दिनों के भीतर उन सारी ही स्थितियों को व्यक्ति न जाने क्यों भूल जाता है और फिर से उसी राह पर चलने लगता है जहां उसके सिर्फ और सिर्फ झुंझलाहट है। जब भी जोखिमभरा कोई निर्णय लेना हो तो वर्षों के अनुभव को देखना चाहिए। और वहीं पर भीतर की केलकुलेशन क्या है वो भी देखकर चलने की आवश्यकता रहती है। जीवन में कितने लोग मिलते हैं, वो कहते हैं जोखिम ले लो, रिश्क ले लो, चलो आप। किन्तु यहीं से एक यात्रा और भी होती है कि इस जोखिम के पीछे मंथन कितना है उसके बाद किसी भी राह पर चलते हैं तो यकीन मानिये असफलता नहीं होती, देरी हो सकती है, बाधाएं आ सकती है, इंतजार करना पड़ सकता है, किन्तु भीतर की रचनात्मकता कर्म के साथ जीवित है तो कोई भी व्यक्ति विशेष आपको रोकने वाला नहीं होता। 

आप यदि नया करना चाहते हैं, आप अभी इसी क्षण के साथ में अपने जीवन में कुछ बदलाव देखना चाहते हैं तो सबसे पहले ये समझने की आवश्यकता है कि मैं दुनिया के विचारों की स्थितियों को एक तरफ करके स्वयं के साथ में समय बिताऊं और ये सोच लूं जिस ओर जा रहा हूं वहां सफलता के सिवाय कुछ भी नहीं है। महीने, वर्ष लग सकते हैं किन्तु अन्ततोगत्वा परिणाम सुखद आएगा। जब ये प्रतिध्वनि मन में गूंजती है तो व्यक्ति हारता और थकता बिलकुल भी नहीं है। आप इस बात को बारम्बार मंथन करते हुए चलें। भले ही आज कोई शुरुआत नहीं कर पा रहे हैं, भले ही कल भी नहीं कर पाएंगे, किन्तु उस शुरुआत के आसार को भीतर जीवित रखकर चलना ये सबसे महत्वपूर्ण है।

Comments

  1. Hi Vaibhavji, nice blog. Please write about how one may go about changing their old habits and inculcating the positive mindset that you mention here. I hope you are doing well. - Nikita

    ReplyDelete

Post a Comment