सभी प्रकार के संशयों को दूर करती है श्रीमद भगवत गीता ।

आप किसी बिजनस की शुरुआत करने जा रहे हैं या एक जॉब में चल रहे हैं, दूसरी जॉब की ओर जाना चाहते हैं। इंटरव्यू कई राउंड के इंटरव्यू पूरे हो चुके हैं उसके बाद एच.आर. के साथ जो बातचीत होती है वो भी आगे बढ़ चुकी है। उस प्रोसेस को भी कम्पलीट करके एक तारीख तय कर चुके हैं कि अब ज्वाइनिंग की ओर जाना है और जहां है वहां से रिजाइन देकर आगे बढऩा है। वहीं आप शिक्षा में कन्वेसनल बेस पर बात करें तो बहुत कुछ एचीव कर चुके हैं किन्तु मन में यही आकांक्षा है कि मुझे और अधिक शिक्षा प्राप्त करने की ओर जाना है। ऐसी ही सारी स्थितियों में जब व्यक्ति दोराहे या चौराहे पर खड़ा हो तो मन में कई प्रश्न उठते हैं। संशय उठते हैं। संशय व्यक्ति के भीतर डर को जन्म देने वाले होते हैं। डर आपके कल पर संदेह का बहुत बड़ा पर्दा डाल देता है। कर्म की संभावनाओं को आज में शून्य करने का कार्य भी करता चला जाता है। और ये सारी ही स्थितियां भावी भविष्य और वर्तमान पर अनिश्चिंतताओं का पहरा लगाकर रख देती है। 

जब भी हम ऐसी सारी ही स्थितियों में तो मेरा आपसे से एक ही निवेदन है कि आप श्रीमद भगवत गीता का वाचन एक बार जरूर करें। मन के भीतर के कर्म को लेकर जो भी संदेह है, कर्म के फल के साथ में जुड़े हुए जो भी संदेह के बादल है, और वहीं क्या होगा, कैसे होगा, कौन मुझे स्वीकार करेगा, यहां पर कन्फर्ट में हूं, किस तरह से ये कन्फर्ट छोड़ दूं। जीवन में खुद को प्रूव करूंगा। थोड़े से फाइनेंसियल के टेंशन ले रहा हूं, कैसे जद्दोजहद में जाऊंगा। आप किसी भी उम्र में है ये प्रश्न बारम्बार मन के भीतर उठते हैं। यदि इन सारे ही संदेह से दूर हटकर आप अपने कर्म को कौशल के साथ में जोड़कर बढऩा चाहते हैं तो एक बार इस कार्य से पहले आपको श्रीमद भगवत गीता का वाचन जरूर करना चाहिए। प्रश्नों के उत्तर निरन्तर मिलते चलते जाते हैं। 

यहां मेरा कुछ दिन पहले ही एक सेवानिवृति समारोह में जाना हुआ था। मुझे भी खड़ा किया गया कि आप अपने मन के उद्बोध है प्रकट कीजिये। मैं अपनी बातचीत रख रहा था और मन में लगातार एक बात उठ रही थी। वहां उन्हें श्रीमद भगवत गीता सेवानिवृति के समय थमाई गई, कहा गया कि आप इस धर्म ग्रंथ का वाचन-श्रवण जरूर करना चाहिए। वो स्थिति बिलकुल सही है। किन्तु मैं ये मानता हूं, व्यक्तिगत तौर पर मानता हूं, जब व्यक्ति कर्म क्षेत्र में उद्वत हो रहा है, जब वो अपनी नौकरी की शुरुआत कर रहा है, वो अपने व्यापार की शुरुआत कर रहा है, तब भी उसे श्रीमद भगवत गीता के अध्ययन की ओर जरूर जाना चाहिए क्योंकि वहां आप अपने कर्म की शुरुआत कर रहे हैं और वहीं से जब कर्म, ज्ञान और भक्ति की योग की स्थितियां जीवन में स्पष्ट होने लगती है। वहीं से हम अपने भीतर एक नवचेतना के आवरण को देख पाते हैं। जितने भी संदेह है, श्रीकृष्ण-अर्जुन संवाद के साथ में हमारे जीवन में भी स्पष्ट होते चले जाते हैं। जहां धृतराष्ट्र का संदेह है, वहीं संजय स्पष्टता के साथ में जब अंतिम निष्कर्ष की ओर पहुंचते हैं तो उसके बीच में जितने भी भौतिक जीवन आध्यात्मिक स्तर को लेकर और जो सामाजिक चिंतन को लेकर या फिर मन में अपने कर्म को लेकर जो-जो प्रश्न उठते हैं उन सभी के उत्तर प्राप्त होते चले जाते हैं। 

जब भी मैं दैनिक राशिफल की चर्चा करता हूं, मेरे पास कई बार ये सुझाव आता है कि आप एक-एक अध्याय के साथ में या आप एक-एक स्थिति के साथ यहां चर्चा करते हुए चलें। किन्तु मैं खुद को अभी तक खुद को लायक नहीं समझता। वर्षों से अध्यात्म के साथ चलता रहा हूं। किन्तु अभी भी लायक नहीं समझता हूं कि उस महाग्रंथ और जीवन को बदलने वाले धर्म ग्रंथ के साथ में यहां पर चर्चाओं को इतना आगे बढ़ा पाऊं। तो आप स्वयं स्वाध्याय की ओर जरूर जाइये। समय निकालिये, समय निकालने के साथ जीवन को एक नवचेतना दीजिये, देखियेगा, आप किस तरह का आनंद महसूस करते हैं और संदेह से किस तरह से मुक्त हो पाते हैं।

Comments