भीतर की सकारात्मकता ऊर्जा को प्रभावी बनाये ।

 किसी भी क्षेत्र विशेष में खुद को स्थापित करना चाहते हैं तो उसके पहले मन में ये जान लीजिये कि आप उस क्षेत्र के प्रति समर्पित होने के साथ में स्वयं के भीतर अडिग कितने हैं। इस बात को बहुत गहराई से समझने की आवश्यकता है। ऑफिस कल्चर में लंच होता है और लंच के समय लोग आपस में चर्चाएं कर रहे होते हैं, खान-पान पूरा कर लेने के बाद में। आप वहां पर अपनी डेस्क पर ही कोई-न-कोई कामकाज करते रहते हैं। एक इनोवेटिव फ्रेम के साथ में चल रहे हैं। लोग आपके बारे में चर्चा करेंगे, अकेले बैठे रहते हैं, एकांत प्रिय व्यक्ति है। अकेलेपन के साथ जुड़ा हुआ व्यक्ति है। न जाने कौन सी कुंठाएं मन के भीतर लेकर बैठ रहते हैं, हम सभी के साथ जुड़ते ही नहीं है। ऐसी छवि अंकित होने लगती है।

 आप शारीरिक स्तर पर 30 35 वर्ष की उम्र में स्वास्थ्य को अक्षुण्ण रखते हुए स्वास्थ्य लाभ चाहते हैं। सुबह-शाम घूमना-फिरना शुरू करते हैं। कोई मिलता है और कहता है कि अभी तक तो स्वास्थ्य अच्छा है आप ऐसी स्थितियों में क्यों जाते हैं। अभी तो सबकुछ ठीकठाक चल रहा है। मुझसे तो सुबह की नींद खराब नहीं होती। आप स्वयं के स्वास्थ्य को बहुत अच्छे से स्थापित करना चाह रहे थे, आप ऑफिस कल्चर के साथ चलते हुए कुछ नया सोच रहे थे, और करना चाह रहे थे। लोगों की बातचीत के प्रभाव में हमारे भीतर की सकारात्मकता को ऊर्जा को नगण्य करके रख दिया और हम जब भी दूसरे लोगों की ऐसी बातों के प्रभाव में आते हैं और भीतर के लक्ष्य को स्पष्ट नहीं कर पाते, तो ऐसी उलझने बारम्बार प्रत्येक क्षेत्र में सामने आती है। आप इस बात को पुन: अपने भीतर स्थापित करके रखिये कि जिस भी क्षेत्र विशेष में हम कामकाज के साथ में हैं, वहां शीर्षस्थ स्थितियों को हासिल करना चाहते हैं, तो वहां पर तो अकेले ही सफर तय करना होगा। और जो लोग पीछे छूट रहे हैं वो निरन्तर बातचीत आपके बारे में करेंगे ही करेंगे। विश्वस्त स्थितियों में आप भीतर स्वयं की जाग्रति के साथ किस तरह से है। मुझे इस ओर जाना है, लोगों के कहने से फर्क नहीं पड़ता। ये कहने में बहुत आसान बात है। 

लोग कहते हैं कि पर्सनल लाइफ और प्रोफेशनल लाइफ को मैं भी कामकाज के साथ और अपने क्षेत्र के साथ कहता हूं कि प्रोफेशनल लाइफ और पर्सनल लाइफ को अलग-अलग रखिये। किन्तु ऐसा होता नहीं है। आप एसेंस और इम्पेक्ट साथ लेकर चलते हैं, किन्तु कैसे धीरे-धीरे कम किया जा सकता है। यदि आपके लक्ष्य की ऊंचाई बहुत अधिक है। सिर्फ घर परिवार के खर्चों को नहीं देखना है, अपना जीवन नहीं निकालना है, इसके अलावा भी बहुत कुछ करने की मंशा यदि भीतर है तो आपको अडिग रहना होगा। आपको स्थायित्व के साथ चलना होगा। दशाएं आपको संघर्ष दे सकती है। विचलित करने वाले आधार आ सकते हैं। पारिवारिक दिक्कतें आ सकती है। प्रोफेशनल लाइफ में सरकम चांसेंज सामने होंगे किन्तु यदि हम अपने लक्ष्य के साथ में पूर्णकालिक तौर पर जुड़े हुए हैं तो आप देखियेगा, दीए के साथ में जो बाती है, और बाती के साथ जो लौ निकलती है, उसको हवा इधर से उधर कर सकती है, किन्तु अन्तोगत्वा वह स्थिर रहती है और निरन्तर एक ही गति के साथ चलने वाली होती है। जब तक उसको ईंधन मिल रहा है वो अपना कार्य छोड़ेगी नहीं।

 हमारे भीतर की ऊर्जा वो ही ईंधन है। उसके साथ आप इस दिन की शुरुआत कीजिये। अडिग रहें और स्थिरता के साथ चलें ये मूल मंत्र अपने भीतर जरूर समाहित करें।

Comments

  1. बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार आप ऐसे ही हमे मार्गदर्शन करते रहे प्रणाम

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