मन की झुंझलाहट और गुस्से को एकांत में रहकर दूर करें ।

 आप समंदर के आसपास टहल रहे हैं और वहीं पर सूचना आती है अभी या अगले कुछ घंटों में हाइ-टाइड सामने आ सकता है। इसकी सूचना आते ही समंदर के किनारों से दूर रहना होता है अन्यथा नुकसान हो सकता है। ये हम सभी ने समझा है जाना है। इसी के साथ बचपन में समाचार सुना करते थे या आज भी सुनने में आता है कि जब भी तूफान आते हैं तो मछुआरों को समंदर से दूर रहने की सलाह दी जाती है सुरक्षित रहें, सावधान रहें। ये लहरों के उफान की स्थिति है, किन्तु मन में भी कई बार ऐसे ही उफान सामने आते हैं बिना कारण के। या कुछ छोटे-छोटे कारण परेशान करने वाले रहे वो एक बड़ी शक्ल में सामने आते हैं और व्यक्ति को परेशान करने वाले हो जाते हैं। वहां से जो चिंताएं घेरने वाली होगी, वहां से दुविधाएं घेरने वाली होगी वो न जाने किस गुस्से के स्वरूप में सामने आएगी और किन परेशानियों को सामने रखने वाली होगी जिससे कि स्थितियां बिगड़ सकती है।

 हम अपने संबंधों के अंदर कहीं न कहीं नकारात्मकता देख सकते हैं। इसी वजह से जब भी मन के भीतर ऐसा तूफान उठने लगे, झुंझलाहट अपना लेवल बना दे तो वहीं पर जरूरत होती है आध्यात्मिकता की। वहीं पर प्रत्येक छोटे से छोटे विषय को हमें अपने जीवन के अंदर समझने की दरकार होती है। किस तरह से लहरों से दूर हटकर उस हाइटेक को देख भी पाते हैं और अपने लिए जोखिम की प्रवृति को नहीं बनाते। उसी तरह से मन में जो उफान उठ रहा है, एक बार कारण को जानने की आवश्यकता होती है कि वजह क्या है, क्यों बारम्बार गुस्से की ओर आ रहे हैं। ऑफिस के कलिग के साथ बहस हो रही है। 

घर परिवार में भी बहस लगातार निमंत्रण में आ रही है, जब ऐसी प्रवृतियां घर करने वाली हो तो खुद को उस स्थिति से दूर करें वहां पर एकांत की आवश्यकता होती है और समाधान भीतर ही भीतर अपनी जगह बनाने लगता है। इस बात को स्मृतियों में रखना चाहिए कि जो भी झुंझलाहट पनपती है उसके पीछे सिर्फ एक कारण नहीं होता, कई कारण शामिल होते हैं तब फस्र्टेशन की ओर जाता है। उसी के आधार पर टेंशन को जन्म देता है और टेंशन पर पी.एचडी करता हुआ डिप्रेशन की ओर कब चला जाता है उसे खुद पता नहीं चलता। इससे बचना जरूरी है और समझदारी के साथ जीवन के साथ जोडऩे की आवश्यकताएं रहती है। ये तो रही मन की झुंझलाहट और गुस्से की स्थितियां, जिसे एकांत के सहारे दूर करने का प्रयास करना चाहिए।

Comments