महाशिवरात्रि की शुभकामनाएं VAIBHAV VYAS

                                   महाशिवरात्रि की शुभकामनाएं (11 मार्च,2021)



नमामीशमीशान निर्वाणरूपं। 

विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम्। 

निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं। 

चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम्।। 


ज्ञात भय पर विजय प्राप्त करने का माध्यम है कर्म। वहीं अज्ञात भय पर विजय प्राप्त करने का एक मात्र माध्यम है शिव भक्ति और उपासना। भले ही श्रावण महीना हो, चाहे प्रदोष व्रत हो या मासशिवरात्रि हो या महाशिवरात्रि हो। व्यक्ति जब उस ऊँ स्वरूप को पूजित करता चला जाता है तो वहीं से जीवन के भय हटाने वाला होकर एकाग्रचित होने वाला होता है। 

मन के भीतर बार-बार जो वासनाएं जन्म लेती है, जो बारम्बार चिंताएं जन्म लेती है, जो आकांक्षाएं महत्वाकांक्षाओं के साथ फलीभूत होती है वो सब कुछ इस भक्ति भरे माहौल से दूर होती दिखाई देती है। जब भी व्यक्ति शिव उपासना की ओर जाए तो वहां वासना और कामना से मुक्त होकर आगे बढ़े तो चमत्कार सामने आने वाले होते हैं। 

मैं हमेशा चर्चा करता हूं चन्द्रशेखर अष्टकम, लिंगाष्टकम, रुद्राष्टकम और रुद्राष्टाध्यायी की। ये सभी शिव भक्ति के वो पूजित करने रूपी स्वरूप हैं जहां से हम जुड़ पाते हैं और चिंताओं के आकाश को मुक्त कर पाते हैं। महाशिवरात्रि पर्व पर रुद्राष्टध्यायी के वाचन और श्रवण की ओर अवश्य जाना चाहिए। रुद्राभिषेक भी जरूर करना चाहिए। संपूर्ण परिवार के पूजित देव हैं इसीलिए उनकी पूजा घर परिवार के साथ करते हैं तो कल्याण के मार्ग निहित होते हैं और लक्ष्य संधान में निर्विघ्न रूप से आगे बढऩे वाले रहते हैं। 

जगत पालनकर्ता की पूजा आराधना के साथ चलें। बारम्बार यही विनती है जब भी ऊँ कार स्वरूप की पूजा की ओर जाएं तो स्वयं की मन स्थितियों को स्पष्ट रखे। व्यक्ति मनोभाव से घिरा नहीं होने पर वहां से आनंद की अनुभूति प्राप्त करने वाला होता है।

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