निर्णय और अनिर्णय की स्थिति ।

 निर्णय और अनिर्णय की स्थितियां कई बार हमारे जीवन में सामने होती है। आप एक जॉब में चल रहे हैं, परिवर्तन चाहते हैं, किन्तु जहां है वहां कन्फर्टटेबल है, दस से पन्द्रह वर्षों से चल रहे हैं, किन्तु परिवर्तन की आवश्यकता है। परिवर्तन डरा भी रहा है कि जब हम वहां जाएंगे तो लोग कैसे स्वीकार करेंगे। तो यह एक निर्णय-अनिर्णय की स्थिति है। वहीं आप किसी रिश्ते में चल रहे हैं, कई महीने-वर्ष बीत गए, अब घर परिवार के सामने इस रिश्तों को रखना है, किन्तु खुद ही अभी तक असंमजस में है, इस रिश्ते की स्थितियां किस तरह से सामने आएगी और हम क्या घर-परिवार के सामने इस रिश्ते को रख सकते हैं। आगे की लाइफ की संभावना है उसको बना सकते हैं। 

एक व्यापार में चल रहे हैं, सेच्यूरेशन आ चुका है, लग रहा है कि अब लिक्विडिटी भी पास है, नए व्यापार की शुरुआत करनी चाहिए या उसी के साथ चलना चाहिए। यदि पूंजी लगाते हैं असफल हो गए तो क्या होगा। ऐसी सारी स्थितियां कई बार सामने आती है जब निर्णय और अनिर्णय के साथ आपको खड़ा रखती है। प्रत्येक व्यक्ति ऐसे में जीवन को देखता है, तो वहीं पर अनुभवों की आवश्यकता रहती है। आप जब एकांत में बैठते हैं और अपने जीवन के पिछले पन्नों को पुन: मन और मस्तिष्क में देखते हैं। जो की-पाइंट है या फिर जहां पर हम अपने जीवन में बदलाव देखते हैं वहीं से याद कीजिये परिवर्तन की ओर गए तो क्या स्थिति आई। इस रिलेशन के साथ महीनों से चल रहे हैं, तो डिमांड कितनी है, मन को सुकून कितना है, जब ये स्पष्ट हो जाता है तो आप निर्णय आसानी से ले सकते हैं। व्यापार की ओर नए सिरे से बढ़ रहे हैं तो हमें कितनी पूंजी लगानी है, क्या बहुत बड़ी रिश्क की ओर तो नहीं जा रहा हूं, ये गणनाएं सिर्फ व्यक्ति खुद के साथ में ही संचालित कर सकता है। 

वहीं ज्योतिषीय आधार में चलती हुई जो दशाएं है वो भी उसे सहयोग देने वाली होती है। समय सही है और आप कोई निर्णय ले रहे हैं, दोनों जगह से मुहर लग चुकी है, तो फिर रुकने की आवश्यकताएं नहीं है आप आसानी से उस निर्णय की ओर जा सकते हैं। तो जब भी ऐसी ऊहापोह बनी हुई हो वहां इंस्टेट बेस का डिसिजन लेने से बचना चाहिए। व्यक्ति कई बार कहता है कि जो होगा वो देखा जाएगा किन्तु जो होगा वो देखने के अंदर क्या कोई नकारात्मक संघर्ष तो निकलकर नहीं आ जाएंगे। इस प्रवृति को एक बार  पुन: पहचानकर आगे बढऩे की आवश्यकताएं प्रत्येक क्षण रहती है। और हम जब भी अपने अनुभव का दशा जनित सम्यक आधार का सहयोग लेते हैं तो फिर निर्णय में पछतावे की स्थितियां बहुत कम हो जाती है। तो इस प्रक्रिया को खुद के साथ जरूर दोहराना चाहिए आप देखेंगे कि जो स्ट्रेट फार्वड मूव की ओर आप बढ़ चुके हैं।

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