जीवन में सुधार की प्रक्रियाओं के साथ चलने वाले बनें ।

 हम जब भी आज कोई निर्णय लेने वाले होते हैं तो उसमें सकारात्मकता नजर आती है। उसमें सारी ही संभावनाएं नजर आती है जो आसमान की बुलंदियों की ओर पहुंचाने वाली होती है। ये ही सोचने समझने का प्रयास करते हैं और खुद को यही समझाते हैं कि बेहद शानदार व्यक्ति है, बेहतर कामकाज आगे बढ़ाएंगे, कामकाज में संभावनाएं ही संभावनाएं हैं। ऐसी स्थितियां मन के साथ चलती है, किन्तु एक बार व्यक्ति कोई भी बड़ा निर्णय लेने से पहले अपने जीवन के पास्ट में झांकना जरूर चाहिए कि जब भी बड़े निर्णय हमने लिए, वहां कितना सफल सिद्ध हुए और कितनी गलतियां सामने निकलकर आई। वो भी एक स्तर और अनुभव और पूर्व की स्मृतियां हमारे लिए आईने का कार्य कर रही है कि हम जो सोच रहे हैं वहां दुबारा एक सोच को बिठाने की आवश्यकता है। दोनों ही आधार पर जीवन को देखने की आवश्यकता है। 

किसी कामकाज की शुरुआत के साथ जब व्यक्ति होता है तो यथार्थ में नहीं होता, वो इमेजिनेशन के साथ होता है, ऐसे कार्य कर जाएंगे, ऐसी पोजीशन में चले जाएंगे किन्तु जब कामकाज की ओर जाता है तो मालूम चलता है कि यहां ये-ये गलतियां मेरे द्वारा हो रही है जिनको सुधारने की आवश्यकता थी, अब भी है, आगे भी मुझे इसी तरह से खुद को इवोल करना होगा। तो जब भी ऐसे निर्णय लेने की ओर जाते हैं और अपने पूर्व की स्थितियों को एक बार बहुत अच्छे से चैक कर लेते हैं तो ये मालूम चल जाता है कि पुन: उसी उत्साह के साथ गलतियां तो नहीं कर रहे हैं। बारम्बार पोजीशन को रि-चैक करते हुए क्रियान्विति को बहुत अच्छे से रिफाइन कर सकता है। 

एक कामकाज की शुरुआत करते हैं, बहुत छोटी पूंजी लगाता है और कहता है कि एक बार करके देखता हूं, कामकाज के साथ बढ़ता चला जाऊंगा। एक व्यक्ति शुरुआत से ही कहता है कि नहीं बहुत अच्छे से पंप एंड शो, चमक-दमक होती है उसके साथ चलूंगा बाकी सारी स्थितियां गौण है। मुझे अच्छा खासा रुपया लगाना है। सफलता और असफलता एक ही सिक्के के दो पहलू है। किन्तु व्यक्ति को बारम्बार  उसे सोचना होता है। हम कभी भी ये कहें होगा जो देखा जाए तो वहां पर हम सिर्फ और सिर्फ भावी भविष्य के ऊपर सारी संभावनाओं को छोड़ रहे हैं। होगा, जो हम देखेंगे और उसके ऊपर कार्य भी करेंगे और संभालने का प्रयत्न भी करेंगे। गलती हुई है तो उसका समाधान खोजेंगे और बारम्बार अपने चिंतन के अंदर चिंताओं को दूर हटाकर संभावनाओं को जोडऩे वाले होंगे तो वहीं से आप देखिये, निर्णय में यदि गलती हुई भी है तब भी आप स्वयं को सुधार की प्रक्रियाओं के साथ लेकर चलते हैं, अन्यथा यही सोच के रह जाते हैं कि ये निर्णय नहीं लेता तो शायद बहुत बेहतर होगा। किन्तु आज जब ये निर्णय ले चुके हैं तो फिर कहीं पर भी कोई गुंजाइश की आवश्यकता नहीं है। 

हम सिर्फ और सिर्फ सुधार की प्रक्रियाओं के साथ चलने वाले व्यक्ति विशेष रहें। ये एक मूल मंत्र है जो किसी भी कामकाज की शुरुआत के पहले और शुरुआत के साथ बना रहना चाहिए।

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