मौनी अमावस्या पर करें मौन साधना

 मौनी अमावस्या पर करें मौन साधना

माघ माह में 11 फरवरी को पडऩे वाली अमावस्या को मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। ज्योतिष शास्त्र में मौनी अमावस्या का विशेष महत्व होता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन देवतागण पवित्र संगम में निवास करते हैं, इसीलिए इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है। मुनि शब्द से मौनी की उत्पत्ति हुई है। इसलिए इस दिन मौन रहने वाले व्यक्ति को मुनि पद की प्राप्ति होती है। मौनी अमावस्या के दिन दान-पुण्य करने से भी शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

11 फरवरी को 1 बजकर 10 मिनट से प्रारम्भ होकर अगले दिन 12 बजकर 35 मिनट तक अमावस्या रहेगी। पुराणों के अनुसार, मौनी अमावस्या के दिन मौन रहने का विशेष महत्व होता है। कहते हैं कि ऐसा करने से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं। अगर मौन रहना संभव न हो तो माघ अमावस्या के दिन लड़ाई-झगड़े से बचना चाहिए। इसके साथ ही इस दिन कटु वचनों को नहीं बोलना चाहिए। वाणी पर संयम व्यक्ति की आत्मशक्ति को जाग्रत करने वाली भी मानी गई है। कहा भी गया है कि एक बार मुख से निकले शब्द वापस नहीं होते, इसलिए जब भी बोलें तो सोच-समझकर, नाप-तौलकर, उचित-मृदुभाषित शब्दों का उपयोग करना चाहिए, अन्यथा ऐसे मौकों पर मौन का सहारा लेकर मन में भगवान का स्मरण करना हितकर रहता है।

वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा को मन का कारक कहा गया है। अमावस्या के दिन चंद्र देव के दर्शन नहीं होते हैं। इससे मन की स्थिति कमजोर रहती है। इसलिए अमावस्या के दिन मौन व्रत रखकर मन को संयम में रखने का विधान बताया गया है। मौनी अमावस्या के दिन भगवान शिव और विष्णु जी की पूजा की जाती है। मौनी अमावस्या के दिन व्रत करना, विशेषकर नियमपूर्वक करने से भगवत कृपा प्राप्ति होती है।

मौनी अमावस्या के दिन नदी, सरोवर या पवित्र कुंड में सुबह का स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद सूर्य देव को अघ्र्य देना चाहिए। इस दिन व्रत रखकर जहां तक संभव हो मौन रहना चाहिए। गरीब व भूखे व्यक्ति को भोजन अवश्य कराएं। अनाज, वस्त्र, तिल, आंवला, कंबल, पलंग, घी और गौ शाला में गाय के लिए भोजन का दान करें। अमावस्या के दिन गौ दान, स्वर्ण दान या भूमि दान भी करते हैं तो इसका दुगुना फल प्राप्त होने का विधान पुराणों में कहा गया है। हर अमावस्या की भांति माघ अमावस्या पर भी पितरों को याद करना चाहिए। इस दिन पितरों का तर्पण करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है साथ ही पितृ दोष का निवारण भी होता है। व्रत करने वालों को माघ अमावस्या व्रत कथा का श्रवण-वाचन अवश्य करना चाहिए।

इस दिन विशेषकर भगवान नारायण हरि की पूजा का विधान विशेष फलदायी माना गया है। अमावस्या के दिन सुबह स्नानादि से निवृत होने के पश्चात नदी या तालाब के किनारे स्थित पीपल के वृक्ष के नीचे भगवान विष्णु की पूजा करना और फिर पीपल के वृक्ष की 108 बार परिक्रमा करने से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है।

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