स्पष्टता और अस्पष्टता का विश्लेषण मन में रखें ।

 एक व्यक्ति आपसे दस वर्षों के बाद अचानक मुलाकात करें। या अनायास ही आप ट्रेवल कर रहे हों और उससे मुलाकात हो जाए। और वो आपसे पुराना परिचय फिर से दोहराये और प्रगाढ़ता के साथ मिले। उस यात्रा के बारे में करेंगे जो उसने उन दस वर्षों के साथ तय की है। वो ये कहे कि मैं इन दस वर्षों में क्या-क्या नहीं तय कर पाया। इतना कुछ कर सकता था, नहीं कर पाया। इतने लोगों से धोखे मिले, इतने संघर्ष मिले, और संघर्षों में भी सिर्फ उसके दर्शन में यदि नकारात्मकता की झलक होती है और भावी भविष्य को लेकर सिर्फ और सिर्फ वो दस वर्ष पुराने ही संदेह आपको नजर आते हैं तो हमें कहीं न कहीं समझ लेना चाहिए कि उस व्यक्ति ने अपने सुलझने की यात्रा या फिर जीवन को समझने की यात्रा दूर-दूर तक भी तय नहीं की है। अभी तक भी ऊहापोह के साथ उलझा हुआ है। ऐसा व्यक्ति मिलकर कुछ दिनों के बाद में ही आपके सामने व्यापार का एक ऑफर लेकर आता है और कहता है कि आप इसे स्वीकार कर लीजिये। एक अलग तरीके का सब्जबाग आपके सामने रखता है। और ये लगने लगता है फैशीनेशन के साथ उस व्यक्ति के साथ बढ़ जाना चाहिए। वहीं हम गलती कर बैठते हैं। किन्तु उस व्यक्ति ने अपनी उलझनों से ही पार नहीं पा पाया है तो वो कोई भी स्थिति के साथ में आगे कैसे बढ़ सकता है। वहीं एक व्यक्ति आपसे वर्षों के बाद मुलाकात करे। आपसे ये पूछे कि इन दस वर्षों आपके अनुभव क्या रहे। मैंने इतना कुछ हासिल किया है। परिवार बढ़ा है। इसके साथ में ही कहां से अपने नौकरी पेशा जीवन में, व्यापार में कहां तक पहुंचे, कहां दिक्कत परेशानियां आई, किन्तु उससे आगे निकलते चले गए। अपनी सोच में पहले अपरिपक्वता थी, वहां से हम परिपक्व भी हो पाए हैं।

 आज सुकून है। हासिल बहुत कुछ करने की कामना और इच्छा है किन्तु आज जहां पर है मुझे ये संतुष्टि है कि पिछले लगभग साढ़े तीन हजार दिन कहीं न कहीं मेरे लिए एक तरीके से संतुष्टि लेकर आए। जीवन का एक नया दर्शन लेकर आए। उस व्यक्ति से यदि आप किसी व्यापारिक स्तर के ऊपर, किसी कामकाज में जुडऩे की ओर जाते हैं तो जिसके पास में अपने  पिछले दिनों की एक स्पष्टता है, कोई रिग्रेट नहीं है उसके साथ आप अपने भावी भविष्य को बनाना चाहते हैं तो कहीं कोई दिक्कतें और दुविधाएं नजर नहीं आती। किन्तु वहीं यदि सिर्फ और सिर्फ उलझने हैं तो फिर निर्णय व्यक्ति को जरूर करना चाहिए कि हम किस तरह से उस व्यक्ति के साथ बढ़ सकते हैं और कहां पहुंचने वाले होंगे। अस्पष्टता और स्पष्टता के दायरों को यदि जानना है तो इस वृहद विश्लेषण की आवश्यकताएं मन में रहनी चाहिए और यही प्रतिबिम्ब मात्र है, दर्पण है जिससे कि हम किसी भी व्यक्ति के साथ जुडऩे से पहले दिशा और निर्देश खुद को दे सकते हैं।

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