पापकर्तरी दोष की स्थितियां ।

 हम किस तरह का भोजन ग्रहण करते हैं, उसका प्रभाव प्रत्यक्ष तौर पर शरीर पर नजर आता है। कैसी जलवायु में रह रहे हैं, किस तरह से अपने शारीरिक श्वासों की प्रक्रियाओं को नियंत्रित करके चल रहे हैं, कितनी डिप ब्रिथींग के साथ है, वहीं योगा, प्राणायाम और एक्सरसाइज के रुटिन के साथ चलते हैं तो उसका प्रभाव भी स्पष्ट नजर आता है। वहीं आप देखिये, जब भी हम शारीरिक अवस्था की बात करते हैं तो वहां शरीर और मन दोनों की चर्चाएं साथ होती है। शारीरिक स्तर पर तो हम अपना इम्युन बढ़ाने पर जोर देते हैं। खान-पान कैसा हो, बार-बार इस बारे में विचार करते हैं, किन्तु हम विचारों को किस तरह से अपने जीवन में ग्रहण कर रहे हैं, ये मन की खाद है, ये मन की ऊर्जा है। आप देखें, चन्द्रमा सौम्य ग्रह है किन्तु जैसे ही किसी पापी ग्रह के प्रभाव में आते हैं तो उन पापी ग्रहों से अधिक पापी स्थितियों के साथ में आ जाते हैं। ये अलग बात है, जिसकी मैं यहां चर्चा कर रहा हूं। 

नवग्रहीय व्यवस्था में आप देखें चन्द्रमा जैसे ग्रह जो तरलता प्रधान ग्रह व मन के आधिपति है। मन को जिस तरह के विचार मिलते हैं मन वैसा ही रिफलेक्शन देना शुरू कर देता है। चन्द्रमा की स्थितियों की चर्चा करेंगे, चन्द्रमा यदि केमद्रुम दोष में है यानि कि चन्द्रमा यदि प्रथम भाव, द्वादश और द्वितीय भाव में कोई भी ग्रह नहीं है तो केमद्रुम दोष की स्थितियां, चन्द्रमा दशम भाव और  नवम और एकादश में  पापी ग्रह है तो पापकृतरी  दोष की स्थितियां हो गई। मन के ऊपर का जो प्रभाव है वो एक तरह से नकारात्मक होता चला जा रहा है और वहीं से व्यक्ति की क्षीणता शुरू हो जाती है। मन में उत्साह है, कामकाज करने की प्रवृतियां अलग तरीके से निकल कर आ रही है तो प्रत्येक कार्य में विजय मिलती चली जाएगी। इसी वजह से कहा जाता है कि आप पुस्तक अध्ययन की ओर जाएं, नए से नए विषयों के साथ जुड़े रहिये, बुद्धिजीवि लोग हैं जिनके साथ चर्चा कर सकते हैं, उनके साथ चर्चाओं के आधार पर मंथन कर सकते हैं वहीं से थोट प्रोसेस मन के रिफलेक्शन शुद्धिकरण के साथ चलने लगते हैं। भले ही पापकृत्री दोष हो, केन्द्रुम दोष की स्थितियां हो, सबसे पहले इसका आधार पहचानने की आवश्यकता है। केन्द्रुम दोष होगा तो व्यक्ति को एकांत की आवश्यकता रहेगी क्योंकि मन के रिफलेक्शन में कमजोरी है, भीतर ही भीतर बारम्बार मंथन को जन्म देना होगा। वहीं पापकृत्री दोष की स्थितियां है तो तथ्यात्मक आधार पर बारम्बार विचारों को ग्रहण करने की ताकत है उसको परिवर्तित करने की आवश्यकता होगी।

 कैसे लोगों के साथ चर्चाएं हो रही है। जहां पर भी हम नकारात्मकता के साथ है तो पापकृत्री दोष है वो और अधिक नकारात्मक कर सकता है। तो इसी वजह से इन फ्रेमस को हम पहचानते हैं, जीवन के अंदर परिवर्तन लेकर आ पाते हैं। यदि कुंडली में आपके क्षीण चन्द्रमा की स्थितियां हैं तो इन सारे ही उदाहरण के साथ में जीवन को देखना चाहिए, और वैसे ही परिवर्तन के साथ हम चलते हैं तो आप पाएंगे कई बार जो संशय चलते हैं, कई बार बेस लेस फीयर चलते हैं, कई बार ऐसी स्थितियां चलती है जो कहीं पर भी जीवन में दूर-दूर तक नहीं थी, किन्तु हम उसको भी समाहित करते हैं। कोई व्यक्ति के साथ घटना घटी, खुद को साथ उसके साथ जोड़ा, और अवेयर होने की जगह डरने लगे तो ये सारी ही क्षीण चन्द्रमा की स्थितियां है। इन सबसे दूर हटकर जीवन को देखने की आवश्यकता है। बारह ही भावों के साथ चन्द्रमा की इन स्थितियों को एक बार रि-चैक जरूर करना चाहिए।

Comments