व्यक्ति को जीवन के भीतर स्पेस की आवश्यकता होती है।

 प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में बहुत सारे दोस्त जुड़ते हैं, किन्तु आई.टी. फील्ड में काम कर रहे लोगों के लिए एक निर्जीव दोस्ती भी साथ में चलती हैं और वो है की-बोर्ड की मित्रता। यहां आप अपनी अंगुलियों के साथ में काम करते हुए की-बोर्ड से संसार को न जाने कितना कुछ नया देते चले जाते हैं। तकनीक के विकास क्रम में भागीदारी होते चले जाते हैं। उसी की-बोर्ड में सबसे बड़ी की है- स्पेस की, ऐंटर भी है, रिफ्रेश भी है, एस्केप भी है तो वहीं स्पेस  भी है। ठीक उसी तरह से व्यक्ति को अपने जीवन में भी बहुत बड़े स्तर के ऊपर स्पेस की आवश्यकता होती है। या फिर उसके पास में सबसे ज्यादा कुछ है तो वो एकांत के साथ में चल रहा है स्पेस । हम कई लोगों से विचार-विमर्श करते हैं, कई लोगों से चर्चाएं करते हैं किन्तु एकांत में भी काफी हद तक समय बिताने वाले होते हैं जिसको हम महसूस नहीं कर पाते। 

आप एक और उदाहरण से समझें, कोई व्यक्ति आकर कुछ कहता है और आप हाथों-हाथ उसे स्वीकार कर जाते हैं किन्तु वहीं पर खुद को एक स्पेस देने की आवश्यकता है, कोई व्यक्ति आपके सामने ऑफर लाता है और आप सहर्ष स्वीकारोक्ति दे देते हैं, जबकि थोड़ा-सा ठहरना है, मन की सारी स्थितियों को संभाल कर फिर अपनी बात को रखना है। यानि जब भी एकांत के साथ खुद को जगह देंगे और अपनी विचारधारा में मंथन को लाएंगे तो निर्णय की प्रक्रिया सहज होती चली जाएगी। भले ही आप स्क्रीन पर शब्द देख रहे हों, वाक्य देख रहे हों, क्योंकि उनके भीतर स्पेस की आवश्यकता होती है। उसके पीछे वजह क्या है सुन्दरता बनी रहे, प्रत्येक शब्द को एक जगह चलना होगा जिससे स्पष्ट तौर पर उस शब्द को समझ पाएं। 

जीवन भी कुछ ऐसा ही है। हमारे सामने कितने वाक्य, कितने विचार, कितने कर्म के आधार घूम रहे हैं, किन्तु जब भी स्पेस के साथ चलने वाले होंगे, जगह देंगे और उसी के साथ मंथन की प्रक्रियाओं को प्रत्येक स्तर पर आगे बढ़ाएंगे तो निखर कर सामने आने वाले होंगे। वहीं आप देखिये, एस्केप का बटन कोर्नर पर होता है, जब भी आप इसी स्थिति से दूर हटना चाहते हैं, कोर्नर की ओर हो जाएं, उसके बाद अपनी विचारधारा को जगह देते हुए चलिये, जीवन एक सुंदरता के साथ चलने लगता है और वहीं से हम मुखर स्तर पर अपनी जो सोच है, उसमें स्पष्टता ला पाते हैं। इसी वजह से स्पेस से दूर होने की आवश्यकता नहीं है। 

व्यक्ति कई बार अपने स्तर के साथ एकांत को चलते हुए सुनापन समझ लेता है। लगता है कोई साथ नहीं है, किन्तु जब आपको अपनी जगह के साथ जीवन को समझने की प्रक्रिया जुडऩे लगती है तो वहां से आप उसे एकांत का नाम देने लगते हैं। इसी स्पेस के साथ में जरूर चलना चाहिए। विचारधारा की प्रक्रिया के साथ रविवार का दिन है, जहां आपके पास कुछ क्षण मौजूद होंगे, जिनके साथ आनंद के साथ स्वयं के साथ वक्त बीता सकते हैं। इन्हीं प्रक्रियाओं से काफी कुछ नया निकलकर आएगा। कोई ऑफर है तब भी आपकी विचारधारा प्रखरता से आपके सामने होगी।

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