रूचिपूर्ण कार्य को महत्व दें ।

 कामकाज इसलिए कर रहे हैं कि घर-परिवार को बहुत अच्छे से चला सकें। उनकी जिम्मेदारियों को अच्छे से निभा सकें। बहुत दूर रह रहे हैं घर से, किन्तु कामकाज तो करना ही है क्योंकि कहीं-न-कहीं फाइनेंसेस की रिक्वायरमेंट है, ये सोच कई बार व्यक्ति के भीतर एक उम्र के बाद प्रवेश करने लगती है। वो हमेशा ही कहता है रुचिकर कार्य करूंगा, मेरी रुचि के बढऩे का प्रयास करूंगा। आज नहीं तो कल, एक दिन ऐसा आएगा जब मैं अपनी रुचि के साथ बढ़ता चला जाऊंगा। एक उम्र के बाद वो ये सारी स्थितियां गौण कर देता है और सिर्फ यही सोचने लगता है कि जो कार्य सामने है उसे ही पूरा करुं। महीने में एक बार तनख्वाह मिलती है, बोनस मिलता है उसके साथ चलता है। व्यापारिक जीवन में भी पैतृक स्तर के साथ किसी कामकाज की शुरुआत की थी, या स्वयं ने सर्कमचासेंज के साथ किसी कार्य क्षेत्र के अंदर कार्य में संलग्न किया। अब ऐसा लगता है कि मजबूरी बन चुकी है, यहां मेरी रुचि नहीं है। बस, चलते चले जाना है। किन्तु यहीं से व्यक्ति जब भी उस कामकाज में अपनी रुचि को जाग्रत करता है। 

आपकी रुचि लेखन संबंधी स्तर के साथ में रही है और अब आप एक व्यापार के साथ में है तो जब वहां व्यापारिक संबंधों में भी आप ऐसी सारी रचनाओं को बोलने लगते हैं। एक तरह से क्रियेटिव फोल्ड जुड़ा रहा, नए-नए शब्दों के साथ चलने का शौक है। व्यापारिक जीवन में जो शुरुआत की, आप आई.टी. फील्ड से जुड़े हैं किन्तु आपकी रुचि म्यूजिक में रही है। कामकाज से फारिग हुए कलिग के साथ बैठते हैं, उस रुचि को बढ़ाने का कार्य किया। लोग आपसे जुडऩे लगे और आप भी उस कामकाज के साथ एक अलग आनंद प्राप्त करने लगे। ये सारी स्थितियां हैं जो जीवन में अलग तरीके की जाग्रति लाती है और इसी जाग्रति की आवश्यकता हमें रहती है। कार्य तो हमें करना ही है। व्यक्ति जब तक अपनी अंतिम स्वतंत्र श्वांस के साथ यात्रा करता है तब तक किसी न किसी तरह से कार्य में संलग्न रहता है। भले ही अपनी सोच के साथ में है तब भी वो एक तरह से कार्य का रिफलेक्शन ही है। उसे अन्न ग्रहण करता है वो भी कार्य है। 

श्वास की स्थितियां भी एक तरह से कार्य है। इस कार्य के अंदर जब व्यक्ति रुचि लेने लगेगा आप अपना भोजन ग्रहण कर रहे हैं, वहां से डिस्ट्रेक्शन को हटाकर रुचि की स्थितियों को जगाया। आप लगातार श्वांस की प्रक्रियाओं के साथ है, वहां भी डिप ब्रीथिंग के साथ चलें, एक रुचि का आधार बनने लगा। आप तकनीक संबंधी विषयक आधार से जुड़े हुए हैं। नएपन के साथ कोशिश की तो वहां पर भी एक इंटरेस्ट डवलप होता चला गया। यही इंटरेस्ट निराशाओं के साथ निराश्रय के साथ चलने नहीं देता। हम अपने जीवन को अलग से अलग रिफलेक्शन देते चले जाते हैं। हम जहां पर भी हों, जिस तरह से भी हों, भले ही एक घंटा दिन में चले। 15 मिनट ही मिले अपनी रुचि के साथ जरूर बढ़ेंगे। कामकाज में भी रुचि के साथ जुडऩे का प्रयास करेंगे तो आप देखिये बहुत बड़े बदलाव भीतर आने लगते है और वही लोगों के सामने भी प्रस्फुटित होते हैं।

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