जीवन में नयेपन की आवश्यकता ।

 जब भी व्यक्ति नन्हे कदमों के साथ चलने की शुरुआत करता है, तो वहां उसकी उन दिनों की स्मृतियां पूरे जीवन साथ बनी रहती है। उसे याद नहीं रहता कब बोलना सीखा था, कब नन्हे कदमों को संभाला था और चलने की शुरुआत की थी। किन्तु जब वो पहली बार साइकिल चलाता है तो जब उसकी पैडल के साथ दोस्ती होती है तो उसे नयापन नजर आता है और वो बहुत करीने से बहुत उत्साह के साथ में साइकिल चलाने का प्रयास करता है। किन्तु उन पैडल के रोटेशन से कुछ दिनों में ही उतकाहट में आ जाता है। उसके बाद उसे पसंद आता है कि एक हाथ छोड़कर साइकिल चलाए। कभी ये भी कोशिश करे और सूनी सड़क पर दोनों हाथ छोड़कर साइकिल चलाये। कभी कैरियर पर बैठकर साइकिल चलाएगा। यानी जीवन को नयेपन की आवश्यकता रहती है। 

साइकिल के सारे ही कारनामे और साइकिल चलाना उसको एक उम्र के बाद फस्र्टेड करने लगता है, लगता है अब इलेक्ट्रोनिक पोजीशन के साथ चले। बाइक की स्पीड साथ हो। वहीं पर ब्रेक लगाने के लिए भी बहुत ज्यादा ताकत का इस्तेमाल नहीं हो। गाड़ी सेल्फ स्टार्ट हो ये एक नयापन है। एक उम्र के बाद बाइक भी उकताहट देने लगती है, स्पीड, ब्रेक, कल्च और स्टियरिंग के साथ दोस्ती होती है। वहां भी नई से नई लग्जरी की आवश्यकता होती है। यहां पर भी एक नयेपन के साथ जीवन को देखता है। वहीं जब वो कॉलेज जाता है तो नए लोगों से मुलाकात होती है वहां पर भी नए रिश्तों को खोजता है। कई रिलेशन के साथ जुड़ता है, पीछे छूटता है, आगे बढ़ता है ये प्रक्रियाएं उम्र भर उसके साथ नयेपन के रूप में चलती है, किन्तु बीस, बाईस, पच्चीस वर्ष तक सिस्टेमेटिक कुछ हासिल करता है, अपने अनुभव बनाता है किन्तु जैसे ही एक जॉब में आया, व्यापार में आया। वहां वो भी पोजीशन वर्षों के साथ उसके साथ चलने लगती है जहां कोई भी नयापन नहीं है। 

एक जॉब में है वो ही कामकाज बारम्बार उसको सामने मिल रहा है। नौकरी पेशा जीवन के अलावा व्यापार में है तो वहां भी सुबह जाना शाम को आना और वो ही सेल्स पर्चेज, रुपयों की गिनती और घर परिवार को चलाना, नयापन जीवन से दूर होने लगता है और जब भी नयापन रचनात्मक आधार जीवन से दूर होगा तो मन के भीतर एक झुंझलाहट आने लगेगी हम नए से नए स्थानों को देखना चाहते हैं, तो वहीं पर आप देखिये, लम्बे समय से एक व्यक्ति सेल्फ हेल्प की बुक पढ़ रहा है तो लगता है कि अब फिक्सन की ओर जाया जाए कैसे नए विषयक आधार को देखा जाए। एक मोबाइल से दूसरे मोबाइल की आवश्यकता, किन्तु मेटेरियलस्टिक पोजीशन होगी वो कुछ दिन संतुष्टि देगी उसके बाद वहां से एक उकताहट का आधार आने लग जाएगा किन्तु जब भी आप स्वयं को कोई नई टास्क देंगे किसी क्षेत्र विशेष के साथ में जुड़कर तो वहीं से विश्वास की ओर जाएंगे, खुद को नया आधार देंगे। और जब भी ये नया आधार आयेगा हम झुंझलाहट की ओर नहीं होंगे हम खुशियों से स्वीकारोक्ति की ओर होंगे। आज की उम्र में सुनते हैं 50, 55, 60 से 65 वर्ष की उम्र के लोग लगातार नये कोर्स की ओर जा रहे हैं, नया सीख रहे हैं, नया अनुभव दे रहे हैं। उसी अनुभव के साथ जीवन खिलता चला जाता है, नहीं तो बुढ़ाया से बुढ़ापा, जवानी से पहले जवानी समाप्त होने की ओर जा आती है। 

हम खुद को कुछ नयापन देते हैं कुछ प्रस्तुतीकरण की ओर हो जहां भीतर की बनावट है खुद को क्रियेटिव फोल्ड के साथ जोड़े। हम यही प्रयास करें जिस भी क्षेत्र में है वहां कुछ न कुछ नया जरूर खोजेंगे, नहीं तो जिस तरह साइकिल की शुरुआत की थी, पैडल से उकताहट, एक हाथ छोडऩे की उकताहट। उकताहट में नयेपन की आवश्यकता वहीं से जीवन नए दर्शन के साथ भी चलता है।

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