माँ सरस्वती की आराधना और उपासना का पर्व : वसन्त पंचमी ।

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता। आप सभी को मां शारदा की उपासना के इस महापर्व वसंत पंचमी की अनेकोंनेक और कोटिश: शुभकानाएं। विद्या व्यक्ति को सहनशक्ति देती है। विद्या व्यक्ति को विनय के साथ लेकर चलती है। विद्या जीवन में संभावनाओं को जन्म देने वाली होती है। तो वहीं विद्या ग्रहण करने के बाद में व्यक्ति ज्ञान के एक उदय को अपने जीवन में देखने वाला होता है। मां शारदा की उपासना का ये महापर्व इन सारी ही स्थितियों को इंगित करने वाला होता है। 

हम जीवन के जिस भी मोड़ पर हों। कुछ न कुछ सीखते जरूर हैं। भले ही हम खुद को थोड़ा-सा संकुचि करके आगे बढ़ाएं, किन्तु फिर भी सीखने की ओर जाते हैं। भले ही मेंडेंट एप्रोच में कुछ न कुछ सीखें वहां पर भी हम अपने प्रवाह को एक उज्जवल और धवल माध्यम से देखने वाले होते हैं। तो जब भी जिस भी उम्र के अंदर हों, अपनी स्वीकारोक्ति को बढ़ाते हैं, अपने जीवन को देखने के नजरिये को अलग तरीके से लेते हैं। जो भी व्यक्ति जीवन में जुड़ता है। जो भी प्रकृति का आवरण हमारे सामने होता है उससे भी कुछ न कुछ ग्रहण करने के स्वरूप में होते हैं तो हम स्वयं को मां शारदा की परोक्ष तौर पर उपासना की ओर लेकर जाने वाले होते हैं। 

जो भी व्यक्ति विशेष विद्याध्ययन कर रहा है, उनके लिए ये दिन अति महत्वपूर्ण है। आपको मां सरस्वती की आराधना और उपासना की ओर जाना चाहिए। कला के किसी भी क्षेत्र विशेष के साथ आप पारंगत होना चाहते हैं, वैसे तो व्यक्ति कला का कोई भी क्षेत्र हो जीवन में किसी भी क्षेत्र विशेष के साथ हो, पारंगत होने वाली स्थितियों में नहीं होता। तथाकथित तौर पर दुनिया के सामने पारंगत हो सकते हैं, किन्तु खुद को एक बार वहां खड़ा करते हैं जहां से लोग आपको एक्सपरटीज के साथ ले रहे हैं, वहीं गलत फहमी दूर होने लगती है कि अभी तक बहुत सीखना बाकी है। और जब भी ये शब्द सामने हो कि बहुत सीखना बाकी है, वहीं से व्यक्ति पुन: मां शारदा की उपासना और आराधना की ओर जाता है। 

आज इस युग में देखते हैं व्यक्ति 48-50 या 55 वर्ष की उम्र में अपडेट करने के लिए नए कोर्स की ओर जाता है। मैनेजमेंट फील्ड में बारम्बार सीखाने की प्रक्रियाओं के साथ होता है। वो किताबों के साथ सीख सकता है, किन्तु एन्वायरमेंट इम्पोर्टट है इसलिए हम ऐसी प्रक्रियाओं के साथ भी चलते हैं। ऑफिस कल्चर में कितना कुछ ग्रहण करने वाले होते हैं, न जाने कितने प्रक्रियाओं के साथ हो सकते हैं। ये एक आधार और अवसर है जिसके साथ हम नयापन जीवन को देने की शुरुआत करते हैं। मौसम परिवर्तनशीलता की ओर अग्रसर तो वहीं पर जब ये वासंती स्तर लगातार रहता है तो व्यक्ति प्रकृति के साथ में एक गहराई से जुड़ाव महसूस कर पाता है और वहीं से आप क्या करना चाहते हैं, किस तरह से जीवन को जीना चाहते हैं, ये ज्ञान भी धीरे-धीरे उतरने लगता है। कोई भी व्यक्ति आपसे बातचीत करके समझाता है। 

लोग आजकल तथाकथित तौर पर कह देते हैं कि ज्ञान दे रहा है। ये शब्द इतना हल्का नहीं है, ये शब्द गूढ़ मायनों के साथ जीवन में चलता है। जब भी कोई व्यक्ति अपने अनुभव साझा कर रहा है, वो वर्षों का एसेंस आपको प्रदान कर रहा है। एक पुस्तक है तो वहां वर्षों की मेहनत है, उसके बाद वो पुस्तक आपके सामने आई है। हम उसका आंकलन कर सकते हैं, किन्तु जब भी उसकी गहराई के साथ में उतरते हैं तो आप देखिये कहीं न कहीं कुछ अपने जीवन में नया लेकर आने वाले होते हैं। तो ये सारी ही प्रक्रियाएं हैं जिसके साथ व्यक्ति को चलना चाहिए। आज के दिवस में आप भी मां शारदा की उपासना और आराधना के साथ बढिय़ेगा। 

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