मन के भीतर की ऊहापोह

 रेलवे स्टेशन की परिधि में रहने वाले लोगों ने ये अनुभव जरूर हासिल किया होगा कि सुबह सुबह जब भी गाडिय़ां रवाना होती है और होर्न बजते हैं तो उसकी आवाज सुबह सुबह के शांत वातावरण में बहुत स्पष्ट तौर पर सुन पाते हैं। किन्तु जैसे जैसे कामकाजी जीवन आगे बढ़ता है हल्का फुल्का वाहनों का कोलाहल होने लगता है और प्रत्येक व्यक्ति अपनी आपाधापी में होता है तो वो आवाज सुनाई नहीं देती। वो आवाज दूर तक उस शांत वातावरण में ही पहुंचती है। ठीक उसी तरह से मैं जब सुबह सुबह स्टूडियो में आता हूं तो ऐसी रेलगाड़ी की आवाज सुनाई देती है। जीवन में भी कुछ ऐसा है कि हमारे भीतर निर्मल आवाजें मौजूद है जो बताती है कि हम किस तरह से सुकून और संतुष्टि से जीवन बीता सकते हैं किन्तु मन के भीतर कामकाज के साथ चलते हुए कोलाहल न जाने कितनी और आवाजें उस निर्मल आवाज को हम तक नहीं पहुंचने देती और हम स्वयं भी उस आवाज से खुद को इतना दूर कर देते हैं कि कभी सुनने की स्थितियो में आ ही नहीं पाते। इसी वजह से एकांत की आवश्यकता है। शांति के साथ प्रकृति को निहारने की आवश्यकता है। 

जो मन के भीतर की ऊहापोह है, जो दूसरे लोगों के विचार हैं, जो हमने तथाकिथत तौर पर लोगों के जीवन को देखकर अपने साथ में तुलना की है, उन सभी को दूर करके जब हम उस आवाज को सुन पाते हैं, तो ये स्पष्टता रहती है। हम कई बार लोगों से जब वार्ताएं करते हैं, चर्चाएं करते हैं, विश्लेषण के साथ जाते हैं तो एक बात कही जाती है कि मैं कई बार अपनी लाइफ को कंपेयर करता हूं कि कलिग कहां मेरे साथ थे, और आज कहां पहुंच गए। ये एक तुलना है। किन्तु वो ही व्यक्ति एक बार खुद को ये बोले कि मैं कहां था, और आज कहां तक का सफर तय कर चुका हूं तो वो अपनी यात्रा के साथ कंपेरिजन लाता है तो उसके साथ संतुष्टि जुड़ी होती है। और जब भी वो दूसरों के साथ तुलना करेगा जो ऊपरी स्तर पर मन के साथ चल रही आवाजे हैं उसी के साथ तारत्म्य बिठाने वाला होगा। आप इस धुंधलके को हटाकर भीतर तक आध्यात्मिकता के साथ उतरते हैं तो ये स्पष्ट हो पाता है कि नहीं, हमने भी बहुत कुछ हासिल किया है और वहीं से सुकून और संतुष्टि भी अनुभव होने लगती है। 

भीतर एक निर्मल धारा है विचारों की, जो लगातार लोगों से मिली है। स्वयं के अनुभव से मिली है और उसको पहचानने के लिए हमको शांति भरे वातावरण की आवश्यकता है। जब भी पांच से दस मिनट ऐसे मिल पाएं जब हम तकनीक से दूर हों, स्वयं से बहुत अच्छे से मिल रहे हों, लोगों की बातचीत हमारे ऊपर हावी नहीं हो तो आप देखिये, उसका एक जादुई असर हमारे सामने आ पाता है और वहीं से जीवन एक बदलाव के रूप में चल पाता है। उन आवाजों को पहचानने के लिए एक बार पुन: शांति की ओर जाने की आवश्यकता है जिससे नव उत्साह को प्राप्त करने की जरूरत रहती है।

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