ज्योतिष विज्ञान का एक महत्वपूर्ण प्रश्न: भाग्योदय कब होगा ?

 ज्योतिष विज्ञान के साथ एक महत्वपूर्ण प्रश्न व्यक्ति विशेष का हमेशा जिज्ञासाओं के साथ जुड़ा रहता है कि उसका भाग्योदय कब होगा और विश्लेषण के आधार पर उसे फला वर्ष बताया भी जाता है कि यहां से भाग्योदय की स्थितियां बन रही है। तो जब भाग्योदय की स्थितियां बन रही हो, व्यक्ति किसी क्षेत्र विशेष में जुटा हुआ तैयार कितना है। आप लम्बे वर्षों से एक कार्य क्षेत्र से जुड़ाव रखते हैं, अपनी शिक्षा को उसके साथ पूरा किया, खुद को पूरी तरीके से रचाया-बसाया। जब भाग्योदय का मौका आया तो वहां अवसर और संकेत सामने होंगे। उन संकेतों को पहचानकर कार्य करने की जो क्षमता है, वो व्यक्ति के भीतर होती है। 

जब भी हम ऐसे सारे ही प्रश्नों के साथ में चलते हैं तो एक तैयारी के बेस को भी अपने साथ लेकर चलें। यहां से भाग्य पुन: दस्तक देगा या भाग्येश की महादशा और अंतरदशा प्रवेश कर रही है। तो जब भाग्येश की महादशा है और अंतरदशा है तो वहां से कुछ संकेत मिलेंगे, जॉब में है तो नए ऑफर की स्थिति सामने आई, आपके लिए हो सकता है एक ओप्चयूरिटी ऐसी आए जिससे स्थान परिवर्तन की आशा दी जाती है आप उसके साथ कार्य कीजिये और वहीं से ये भाग्योदय के संकेत है। व्यापार में है तो एक नया अवसर सामने आता है, तो प्रो एक्टिव रहकर उस उम्र उस स्थिति को पहचानने की आवश्यकता है। और जैसे ही व्यक्ति उस स्थिति से स्वयं को जोड़ देता है तो जो भाग्य का उदय हुआ है, वहां से कर्म की स्थितियां जुड़ते ही उसके वारे-न्यारे हो जाते हैं। 

चमत्कारिक तौर के ऊपर जिसको हम परिवर्तन कहते हैं वो एक ही तरीके से जीवन में आता है किन्तु उसको पहचानना और उस पर कार्य करना और कार्य के साथ ही प्रत्येक क्षण जुटे रहना बहुत आवश्यक है। तो ये एक स्थिति है जिसको हम कई बार सुनते हैं, भाग्योदय कब होगा, कैसे आगे बढ़ूंगा। आप इसको अलग नजरिये से भी देख सकते हैं। कई बार किसी क्षेत्र में सोच रहे हैं बारी कब आएगी। तो जब बारी आती है हम तैयार कितने हैं, हम किस तरह से खुद को वहां पर संलग्न करना चाहते हैं, वहीं से भाग्योदय की स्थितियां जीवन को परिवर्तित करने वाली हो जाती है। 

प्रत्येक व्यक्ति न जाने कितनी आशाएं और उमंग लेकर चलता है किन्तु उनके साथ में खुद को कितना जुटा पाता है, वहीं से हम सफलता की आशातीत सिद्धियों को देख पाते हैं। जब एक उम्र के बाद भाग्योदय का भाव जा भी चुका हो और भाग्येश की अंतरदशा या महादशा आ रही हो या शनिदेव की महादशा चल रही हो उसमें भाग्येश प्रत्यतंर भी जब आता है तब भी वह आपको संकेत देता है उन संकेतों को पहचान कर जब व्यक्ति कार्य करने लग जाता है तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखता है। इसी वजह से ये ज्ञात कर लिया कि जब भाग्योदय की स्थितियां जीवन में है, साथ में एक बात जानने की आवश्यकता रहती है कि अब कर्म और तीव्र रफ्तार के साथ में करना है, एक क्षण व्यर्थ करने की ओर हम नहीं जाएंगे।

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