मौनी अमावस्या और ज्योतिषीय महत्व ।

 मौनी अमावस्या और ज्योतिषीय महत्व


भारतीय संस्कृति में आने वाले तीज और त्योहारों का ज्योतिष से गहरा नाता होता है। मौनी अमावस्या का महत्व भी धर्म के साथ ही ज्योतिष से भी जुड़ा है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार जब माघ के माहीने में चंद्रमा और सूर्य मकर राशि में एक साथ एकत्र होते हैं, तब मौनी अमावस्या मनाई जाती है। मौनी अमावस्या के दिन चंद्रमा और सूर्य दोनों ही ग्रहों की संयुक्त ऊर्जा के प्रभाव के कारण इस दिन का महत्व अधिक हो जाती है। मकर राशि चक्र की दसवीं राशि है और सूर्य कुंडली के दसवें भाव में बलवान होते हैं। ज्योतिष में सूर्य को पिता और धर्म का कारक माना गया है, इसलिए मकर में सूर्य और चंद्र के एकत्र होने पर मौनी अमावस्या का पर्व मनाया जाता है। यही कारण है कि इस दिन किए गए दान पुण्य का कई गुना लाभ दानकर्ता को प्राप्त होता है। 

ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा की गति और उसके राशियों में गोचर को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। चंद्रमा की कलाओं के माध्यम से ही चंद्र मास में तिथि और त्योहारों का निर्धारण होता है। एक चंद्र मास में दो पक्ष होते हैं। एक शुक्ल पक्ष और दूसरा कृष्ण पक्ष। कृष्ण पक्ष का अंतिम दिन अमावस्या के रूप में मनाया जाता है। वैसे तो प्रत्येक अमावस्या के दिन दान-पुण्य और स्नान और ध्यान का अपना ही महत्व है, लेकिन यह महत्व तब और बढ़ जाता है जब अमावस्या के साथ कोई विशेष तिथि या मान्यता जुड़ जाए। एक साल में आने वाली अमावस्याओं में सोमवती अमावस्या के साथ ही एक ऐसी ही अमावस्या मौनी अमावस्या भी है, जिसका धार्मिक महत्व बहुत ज्यादा है। इसी वजह से मौनी अमावस्या आस्था, व्रत, दान-पुण्य और धर्म के काम करने का दिन होता है। इसके अलावा मौनी अमावस्या के दिन व्यक्ति को सुबह की पहली किरण के साथ किसी पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करना चाहिए और पूरे दिन या कम या अधिक समय के लिए मौन व्रत धारण करना विशेष फलदायी माना गया है।

शास्त्रों के अनुसार मौनी अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान के बाद दान करने पर पुण्य फल कई गुना बढ़ जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मौनी अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान के बाद अपने पितरों के नाम से जल छोडऩे और पितृ तर्पण करने के पश्चात यशाशक्ति ब्राह्मणों का दान, पशु-पक्षियों को चारा खिलाने, जरूरतमंदों को आवश्यकताएं की वस्तुएं देना और धार्मिक पुस्तकों का दान करने से पितृों को शांति मिलती है, जिससे व्यक्ति पितृ दोषों से मुक्त होकर सुखमय जीवन व्यतीत करने की ओर अग्रसर हो पाता है। मौनी अमावस्या के दिन व्रत धारण करने वाले व्यक्ति को धन, वस्त्र, गाय, जमीन, सोना, अन्न, तिल और अन्य प्रकार की प्रिय वस्तुओं का दान करना चाहिए।

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