मन के भीतर मंथन की स्थितियों को जोड़कर चलें ।

कोई व्यक्ति विशेष फाइव डे वीक के कल्चर के साथ जुड़ा हुआ है, अपनी ऑफिसियल लाइफ में। वहीं कोई सिक्स डे वीक के साथ जुड़ाव रखने वाला व्यक्ति है। आप किसी व्यापारिक प्रतिष्ठान के साथ जुड़े हैं तो पूर्णिमा या अमावस्या का अवकाश रखते हैं या फिर माह के अंतिम दिवस में अवकाश रखते हैं। किसी काम में फ्रीलांसिंग के साथ जुड़े होते हैं तब भी ऐसा करते हैं। अपने आज को डिसाइड करके रखता है या फिर कोई वीकली या मंथली ऑफ की पोजीशन लेकर चलता है। यदि कुछ बड़ा हम अपने जीवन के साथ में लक्ष्य जोड़ रहे हैं तो इन दिनों को अलग तरकी से केलकुलेट करने की आवश्यकता रहती है। यदि हम फाइव डे वीक के साथ जुड़ाव रखते हैं तो 365 दिनों में 104 दिन ऐसे होते हैं कि यहां पर हम अपने समय को व्यवस्थित तौर पर नौकरी पेशा जीवन से हटकर देख पाते हैं। 

यदि सिक्स डे वीक के साथ जुड़े रहते हैं तब भी लगभग-लगभग डेढ़ महीने से सात दिन के ऊपर का समय हमारे पास होता है, जहां हम खुद को किसी हुनर के साथ में जुडऩे का कार्य कर सकते हैं। उसके अलावा जो व्यक्ति खुद के लिए अवकाश लेता है वहीं पर अवकाश में मेंडेंट एप्रोच में प्राप्त होते हैं वो सारी ही गणनाएं कर दी जाए तो एक अलग तरीके का आंकड़ा सामने निकलकर आता है। आप नौकरी पेशा जीवन से व्यापार की ओर जाना चाहते हैं नौकरी के साथ-साथ शिक्षा को बढ़ाना चाहते हैं कोई और हुनर विकसित करना चाहते हैं, तो ये दिन किस तरह से प्रबंधन के साथ में आ रहे हैं, ये जानने की आवश्यकता है। वहीं पर व्यक्ति खुद को संदेश देने लगता है कि क्या 365 दिन कामकाज ही करते चले जाएं। क्या थकान की स्थितियां नहीं होती है। 

मानसिक स्तर के ऊपर जब व्यक्ति ऐसे सारे ही ब्लाकेज लेकर चलता है तो अपने लक्ष्य से खुद को दूर करता चला जाता है और ये लगता है कि जिंदगी की जद्दोजहद के अंदर इतना उलझ कर रह गए कि शायद कुछ कर ही नहीं पाए। इसके उलट हम अपने जीवन में कुछ ऐसे लोगों से भी मिलते हैं, जिन्होंने वर्षों से एक भी अवकाश अपने जीवन में कामकाज से नहीं लिया। और आप जब उनसे अपने विचारों को साझा करते हैं तो ये भी कहते हैं कि जो दिन या महीनों के अंदर बहुत ज्यादा थकान होने लगी तो खुद को कहा चार से पांच घंटे कामकाज से दूर हो जाऊंगा। इससे ज्यादा ब्रेक की आवश्यकता नहीं है। या मैं समय ऐसी स्थितियों के साथ नहीं दे सकता। जब आप इस प्रवृति के बारे में सोचने लगते हैं तो अपने शारीरिक स्वास्थ्य के बारे में भी सजग होने लगते हैं। मानसिक दृढ़ता के एक अलग स्तर के साथ में अपने जीवन को जोडऩे की शुरुआत करते हैं तो यही वो आंकड़े हैं जहां आप अपने जीवन के अंदर चार से पांच वर्षों में भी एक गणना लेकर चलते हैं। आप देखिये, तीस वर्ष का व्यक्ति है और वो 35 वर्ष तक ऐसी गणना के साथ चले, जहां जीवन एक दृढ़ता के साथ में अगले 25 से 30 वर्षों के लिए खड़ा हो सकता है। तो उसे पांच वर्षों में लगभग एक से डेढ़ वर्ष का ऐसा अंतराल मिलेगा जहां वो व्यवस्थित तौर पर कुछ नया सीखने की ओर जा सकता है। तो इसी वजह से हमें इस बात के बारे में ध्यान रखने की आवश्यकता, मन के भीतर मंथन की स्थितियों को लेकर चलने की बहुत बड़ी आवश्यकता रहती है। आप कुछ नया सोच रहे हैं तो कुछ वर्षों के लिए कुछ महीनों के लिए जो अवकाश की तथाकथित स्थितियां होती है, उससे दूर हटकर अपने लक्ष्य के बारे में सोचना होगा और वहीं से आप देखिये, चमत्कारिक तौर के ऊपर परिवर्तन सामने आते हैं।

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