मन के भीतर निवेश (Investment) को जागृत करें ।

 आर्थिक पक्ष में निवेश को लेकर सलाह दी जाती है, आप छोटी उम्र से ही निवेश की शुरुआत कीजिये। वह उम्र होती है जब भी आप कमाना शुरू करते हैं, भले ही 18-20 या 25 वर्ष की उम्र हो, किन्तु जब भी हम जीवन के निवेश की बात करते हैं तो पांच और छह वर्ष, यह इसके पहले शुरू हो जाता है। बच्चा किसी हुनर के साथ चलता है, शिक्षा से सीखता है, कला क्षेत्र में रुचि जाग्रत होती है, कोई और तकनीकी विषय, मेडिको आदि फील्ड में अनवरत सीखता चला जाता है। 

जब भी निवेश की बात करें या सुनें तो उसे सिर्फ अर्थ पक्ष के साथ में जोड़कर नहीं देखा जाए। हम जीवन में उम्मीदों में भी निवेश करने वाले हों। लोगों के साथ विश्वास करके भी निवेश करने वाले हों। उम्र के जिस भी पैमाने पर हो ध्यान रखना चाहिए हम कुछ नया सीखेंगे। अपने भीतर निवेश करने वाले होंगे। जब भी किसी से बात करें अमूमन किसी कंपनी में कुछ समय बिताया उससे पूछें, आपने क्या सीखा। हमने चौकन्ना रहना सीखा, फाइनेंसियल एडजेस्टमेंट सीखा, ऑफिस पोलिटिक्स के साथ कामकाज का एसेंस साथ में आता चला गया। किन्तु क्या कोई हुनर विकसित कर पाएंगे जिससे मन के भीतर निवेश और जाग्रत हो पाए। 

हम क्या संभावनाओं के साथ खुद का निवेश कर पाए। ये सब कुछ आवश्यक है। नकारात्मकता के साथ निवेश करने के साथ सोच से बचना चाहिए। वहीं पर अर्थ पक्ष का निवेश आगे के जीवन को संबल देगा। आपके भौतिक सपनों को साकार करने वाला होगा। किन्तु इसके अलावा जीवन की जाग्रति भले ही आध्यात्मिकता के साथ, भीतर की संभावनाएं है उसको इवोल करने के साथ जुड़ी हो। अष्टम की चर्चा करते हैं तो वहां सिर्फ हिडन प्रोबलम्स को नहीं देखा जाए, संभावनाएं क्या है उसको भी देखना आवश्यक है। अष्टक भर में बिंदु भरा जाता है, कुंडली बनाते समय एक कॉलम आता है मति। मति की स्थितियां भी अष्टम के साथ जुड़ी होती है यदि वो दिग्भ्रमित है तो निर्णय की ओर नहीं जाता।

 जब स्पष्टता की ओर जाते हैं तो वहीं से सीखना शुरू करते हैं। जिज्ञासाएं निवेश के साथ जुड़ी हुई है, इसको भी साथ में मानकर चलें। इसी वजह से भ्रम से दूर रहना चाहिए कि हम सिर्फ अर्थ पक्ष में निवेश करने वाले हों। संभावनाएं प्रत्येक क्षेत्र में निवेश की ओर लेकर जाने वाली होती है।

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