बृहस्पति की महादशा के प्रभाव (Effects of Jupiter Mahadasha)



 बृहस्पति की महादशा के प्रभाव

एक वृ़द्ध ग्रह जिसकी दृष्टि में अमृत हैं जिसके पास सबसे अधिक भावों का कारकत्व हैं। सिर्फ गुरू नहीं वरन् देवगुरू बृहस्पति दूसरे शब्दों में जिस ग्रह को जीव की संज्ञा प्राप्त हैं। भले ही धन हो, कुटुम्ब हों शब्दों से प्रखर होती विश्वास की ज्योति हो संतान, क्षमता और ज्ञान के साथ रचा बसा आचरण या फिर लाभ जो कि कई बार भाग्य के साथ जुड़कर भी प्राप्त होता हैं। ये सबकुछ देवगुरू बृहस्पति के कारकत्व के साथ चलता हुआ आधार हैं। देवगुरू बृहस्पति की दशा 16 वर्षों की होती हैं। प्रत्येक दशा के साथ संघर्ष के मायने अलग हैं लेकिन जो दशा कर्म के जितना ही अनुभव दें वो दशा देवगुरू की भी हैं। ये दशा जीवन की दिशा का मानक आधार हैं। निराधार जीवन जब लक्ष्य प्राप्त करता हैं तो देवगुरू बृहस्पति वहीं से अपनी चमक बिखरने लगते हैं। दूसरी ओर जब भी देवगुरू बृहस्पति चतुर्थ, अष्टम या द्वादश में हो तथा मजबूत स्थितियों में हो तो हमें समझ लेना चाहिए कि अब जीवन की गति विदेश संबंधी स्थितियों से जुड़ सकती हैं। हम ये समझे कि यदि देवगुरू बृहस्पति की दशा चल रही हैं और वहां हम कुछ भी सीखने का प्रयत्न करें तो उस कला या विद्या की निपुणता तो प्राप्त होगी ही साथ ही साथ उस समय में आपके लिए धनागमन के माध्यम भी जुड़ते चले जायेगें। 

धन के साथ जब निवेश की समझ आ जाये तो हम संतुष्टि के मार्ग पर चलने लगते हैं। वहीं आप देखिये कि बृहस्पति में बृहस्पति की दशा विशेष फल नहीं देती क्योंकि महादशा में कोई भी अन्तर्दशा विशेष परिणामों को प्रकट करने वाली नहीं होती तो वहीं दूसरी ओर जब बृहस्पति में शनिदेव की अन्तर्दशा आती हैं तो व्यक्ति किसी भी उम्र में हो अपने जीवन का दर्शन प्राप्त करने लगता हैं। इस समय में ये निर्धारित कर दिया जाये कि हमें कहां बढ़ना हैं किस तरह से बढ़ना हैं और जीवन की प्रगति कहां से निकल कर आयेगी ये सबकुछ निर्धारित होता चला जाता हैं। वहीं ये भी एक समझने लायक बात हैं कि बृहस्पति में शनिदेव की अन्तर्दशा जीवन में धैर्य के बीज को रोपित करके जाती हैं। जहां धैर्य पनपता हैं वहां दूरदर्शिता आती ही हैं। जहां धारणा बदलती हैं वहां नवीनता सुनिश्चित हैं। 

तो वहीं देवगुरू बृहस्पति और बुध में शत्रुता हैं ये समय कई बार गंभीर मानसिक चिंताओं से निकलता हैं। ऐसे मानसिक तनाव सामने आते हैं कि व्यक्ति आज से कल के निर्णय में भी हिचकिचाहट महसूस करता हैं और साथ में ही अपने हर एक निर्णय के साथ अज्ञात भय को भी जोड़ता चला जाता हैं। इसी से सबसे अधिक बचने की आवश्यकता होनी चाहिए। वहीं दूसरी ओर आप ये भी देखिये कि जब केतु की अन्तर्दशा प्रवेश करती हैं तो व्यक्ति किसी भी उम्र में हो पूरा ही जीवन परिवर्तन की बयार के साथ चलता हैं। यहां जो अवसर मिले भले ही तात्कालिक हो या फिर दीर्घकालिक उसका फायदा उठाते हुए चलना चाहिए। 

दूसरी ओर जब शुक्र की अन्तर्दशा आती हैं तो बृहस्पति में शुक्र की समय संरचना आर्थिक पक्ष को सुदृढ़ करने के लिए काफी होती हैं। जब ज्ञान को भौतिकता का आधार मिलता हैं तो वहीं से व्यक्ति धन के प्रति आकृष्ट होता हैं। 

सूर्य की अन्तर्दशा के साथ व्यक्ति अपने नाम को ख्याति की ओर लेकर जाता हैं। ज्ञान के साथ मिला तेजवाहन अनुशासन चन्द्रमा की अन्तर्दशा में शीतलता देता हैं तो कई बार मन की शांति संतुष्टी देती हैं। हालांकि काफी हद तक चन्द्रमा का स्थिति वर्णन भी आवश्यक हैं। 

दूसरी ओर मंगल ज्ञान की तीव्रता को बढ़ाकर सफलता की पूंजी को हाथ में देते हैं। राहू की अन्तर्दशा के साथ व्यक्ति को इस बृहस्पति की महादशा के अंतिम समय अन्तराल में बड़े निर्णय टालने चाहिए तो वहीं जहां भ्रम भ्रमित कर रहे हो तो उस स्थिति को भी स्वीकार करें और इन दो वर्षों में सहजता बनाकर रखें। 

जल्द ही मैं अन्तर्दशा के प्रभाव की वृहद् विस्तार के साथ सामने रखने की चेष्टाओं में हूं, चर्चाएं इस माध्यम से होती रहेगी तथा विश्लेषण को आधार बनाकर हम चलते रहेगें। 

Comments

  1. Dhanwad bahut achha h apka marg darshan parntu ydi guru mithun rashi ka dutiye bhao me vakri ho kar rahu or chanderma k sath baitha ho

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    1. जी धन्यवाद.. विषय सम्बन्धित जानकारी के लिये आप हमारे जोधपुर कार्यालय के फोन नंबर 8905521197 पर सम्पर्क कर सकते हैं। धन्यवाद।

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  2. विस्तृत वश्लेषण का इंतेजार रहेगा...धन्यवाद🙏🏻

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    1. जी बिलकुल.. धन्यवाद

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  3. बहुत ही सराहनीय कार्य आम लोगों के लिए बहुत ही फायदेमंद।

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  4. Sir
    NAMASTE. 🙏
    GOOD Information.,but I want to know more, and you have a skill to explain hard thing in easy way. I pray to God, for you that you are always blesse by him, cos of your best character.

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  5. जी पर 2014 से 28 तक शनि की महादशा चालू हो गई है मेरा गुरु 12वे भाव में है मगर महादशा खत्म हो चुकी है

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