अपनी प्रतिभा (हुनर) के साथ संकल्पबद्ध रहिये ।

 मुझे मेरी प्रतिभा का कभी भी यथोचित सम्मान मिल ही नहीं पाया। मैंने न जाने जीवन में कितनी बार प्रयास किए किन्तु सफलता के उस सिरे को हासिल नहीं कर पाया जिसकी आकांक्षा मेरे मन के भीतर थी। ये पंक्ति कई बार एक निराशा के साथ में हम कई लोगों के मुख से सुनते हैं जिसमें परेशानियां सरोबार होती है। किन्तु व्यक्ति को स्वयं से पूछकर देखना चाहिए कि ईश्वर लगातार जब एक हुनर के ऊपर आपसे मेहनत करवा रहा था और उस मेहनत के साथ में सर्कम्स चांसेज ऐसी आ रही थी कि दो स्थितियों को संभालने की आवश्यकता थी तब भी हम अपने उस हुनर मेहनत करने में कितने अक्षुण्ण बने रहे और सबसे प्रमुख स्थिति यह होती है कि दशा जिसको एक समय के माध्यम से देखा जाता है, हम उस समय तक वहां पर लगातार प्रतिबद्ध थे या नहीं, कर्मशील थे या नहीं जब तक भाग्य की दस्तक हमारे जीवन में कर्म के साथ में प्रतिध्वनित होने वाली थी। 

व्यक्ति अगर किसी भी ईश्वर प्रदत्त हुनर के साथ में अपने जीवन को चला रहा है तो हम बारह ही भावों में और नवग्रहीय व्यवस्था के भीतर चन्द्रमा और शुक्र की स्थितियों के माध्यम से यह जानने का प्रयास करते हैं कि यह प्रतिभा उस व्यक्ति विशेष के भीतर किस तरह से अंगीकार हुई और उसके द्वारा उसने आगे बढऩे का प्रयास भी किया। किन्तु इसका दूसरा स्वरूप भी सामने आता है। कई बार व्यक्ति थक जाता है, संघर्षों से हार मानकर दूसरे रास्ते तय करना शुरू कर देता है और कई बार सर्कम्सचांसेज की उस ड्रिवन एप्रोच में एक लौ अपने भीतर जगाकर नहीं रख पाता जो कि कहीं-न-कहीं उसको सफलता के उस आयाम की ओर लेकर जाती है। 35 वर्ष, 36 वर्ष, 40 वर्ष, 42 वर्ष तक दशा में इतना सपोर्टिव एप्रोच नहीं दिया, किन्तु उस व्यक्ति ने अपने प्रयास नहीं छोड़े अन्ततोगत्वा भाग्य, कर्म उसकी मेहनत और साथ ही साथ में जो उसने अपने भीतर का हुनर विकसित किया था, उसने सहयोग दिया और वहीं पर स्थितियां परिवर्तित होना शुरू हुई और एक वर्ष के भीतर ही उसके जीवन को बदल कर रख दिया। बस यही जानना आवश्यक होता है कि जब कोई हुनर है तो हमने उस पर मेहनत कितनी की है। कितनी बार अपने प्रयासों से वहां पर पहुंचने का प्रयास किया। अंततोगत्वा व्यक्ति को भाग्य सहयोग के रूप में आगे लेकर बढ़ता है वहां कर्म और अच्छे से प्रतिध्वनित होना आवश्यक होता है।

 हमने कई बार देखा है और मैं कहता भी हूं कि शुक्र के द्वारा, सूर्य के द्वारा हम यह भी जानने का प्रयास करते हैं और चन्द्रमा की स्थिति के द्वारा भी जानने का प्रयास करते हैं कि व्यक्ति में पेन को पचाने की ताकत कितनी है। कई बार लोग एक पेन की पोजीशन में आते हैं और खुद की जो हुनर की स्थिति है उसको ही खोकर रख देते हैं और कई बार जैसे ही लोगों को एक लाइमलाइट मिलती है वो दुगुनी रफ्तार के साथ में और अधिक मेहनत करने लग जाते हैं क्योंकि उनको मालूम होता है कि हमारी जिम्मेदारी बढ़ चुकी है। क्योंकि उनको मालूम होता है कि अब यहां सिर्फ और सिर्फ इस हुनर की स्थिति के बूते नहीं चला जा सकता इसमें और अधिक निखार की आवश्यकता है। 

प्रत्येक दिन जो व्यक्ति अपने भीतर इवोलविंग प्रोसेस को लेकर चलता है। ग्रहीय व्यवस्थाएं समय और भाग्य के प्रतिध्वनि उसको जीवन में कहीं-न-कहीं एक परिवर्तन के साथ में लेकर जाती है। संकल्पबद्ध अपने हुनर के साथ में रहिये। संकल्पित अपने प्रत्येक क्षण में कर्म के साथ में रहिये। देखिये, कहीं-न-कहीं पर परिणाम आपकी प्रतीक्षा कर रहे हैं और यही दशाएं, यही ग्रहीय व्यवस्थाएं जब व्यक्ति को उसके हुनर के साथ सपोर्ट देने पर आती है तो पूरे ही जीवन को परिवर्तित करके रख देती है।

Comments

  1. Nice one. Quite relateable when u have wasted ur 30 yrs of golden life in just fulfilling your wonder lust.

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