ये सर्वविदित सत्य है कि किसी भी कामकाज में बहुत ज्यादा गति भी काम की नहीं है तो बहुत ज्यादा धीमापन भी काम का नहीं है। मैं आज ग्रहीय व्यवस्था में उन दो प्रमुख ग्रहों के साथ चर्चा के साथ इस उदाहरण को रख रहा हूं। शनि देव जो कि धीमी चाल के आधिपति है। आप देखिये साढ़े साती मध्यम प्रवास काल में होती है, जैसे अभी मकर राशि को चल रह है, तो दसवीं दृष्टि से कर्म भाव को देखने वाले हो जाते हैं। वहां कर्म की गति धीमी हो जाती है और जब ढैय्या का अंतराल चल रहा हो उस समय भी आप देखिये कि सातवीं दृष्टि कर्म भाव को देखती है और जब भी तीसरी दृष्टि अष्टम भाव से कर्म भाव को देखेगी तो वहां पर भी कार्य की गति धीमी हो जाएगी। व्यक्ति सोच-समझ कर निर्णय लेता है और वहीं कई बार आए हुए मौके गंवाता भी है। कोई मौका बिलकुल सामने है और हम निराशाओं के साथ में चलने लग गए तो शायद वहां पर कुछ एचीव करने की ओर नहीं जा पाएंगे। यही स्थितियां शनि देव की साढ़े साती के मध्य अंतराल और ढैय्या के साथ में। साढ़े साती के प्रथम अंतराल में और अंतिम अंतराल में क्या स्थितियां आती है।
प्रथम अंतराल के साथ में व्यक्ति अपने भाग्य को लेकर संशय में रहता है और कई बार भाग्य के भरोसे ऐसे जोखिम ले लेता है जो उसको बहुत ज्यादा उलझाने वाले होते हैं। वहीं आप देखें अंतिम प्रवासकाल में व्यक्ति के अनुभव के साथ अच्छे रिजल्ट आने लगते हैं। इसी वजह से शनि देव की दसवीं दृष्टि वो लाभ भाव पर निक्षेपण रखती है। वहीं से जब हमने अनुभव हासिल कर लिए, संघर्षों की परिभाषा को जान लिया, कार्य किस तरह से करना है ये अनुभव ले लिए तो एक पोजिटिव नोट भी सामने आने लगता है। ये साढ़े साती के साथ में चलते हुए शनि देव की स्थितियों का एक अंतराल है।
वहीं देखें मंगल की पोजीशन जब भी हम मांगलिक जातक के साथ चर्चा करते हैं तो प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश के साथ मांगलिक स्थितियां नजर आती है। जब भी मंगल जो कि अग्नि तत्व प्रधान है और जिनकी दृष्टि के अंदर एक तेज तत्व है। जब भी वो प्रथम भाव में होंगे, सातवीं दृष्टि से गृहस्थ को देखेंगे जहां पर सामंजस्य की आवश्यकता है, जैसे ही वहां तेज आया हम अपनी डोमिनेट करने वाली पोजीशन को लेकर चले वहां नेगेटिविटी आने लगती है। वही चतुर्थ भाव में रहती है। सप्तम भाव पर आएगी, गृहस्थ में वही परेशानियां। सप्तम में विराजित होने पर दिक्कत आती है। अष्टम भाव से तो गृहस्थ को मंगल नहीं देखने वाले होते हैं, किन्तु यहां से कुटुम्ब और पराक्रम को देखने वाले होते हैं। इसी वजह से कुटुम्ब के साथ पराक्रम दिखाता है वहीं से गृहस्थ जीवन में परेशानियां आने लगती है। वहां एग्रेसिवनेस को कम करने की जरूरत रहती है। द्वादश में मंगल होंगे तो बाइ डिफाल्ट से गृहस्थ भाव को देखेंगे जहां त्वरित गति देंगे। जब ऐसी प्रवतियां शनि देव और मंगल की कुंडली में रहती है तो रफ्तार को बहुत ज्यादा धीमा नहीं किया जाए। रफ्तार को बहुत ज्यादा बढ़ाया नहीं जाए।
ज्योतिषिय परिभाषा के अनुसार शनि देव और मंगल युतिसंगत स्तर पर होते हैं, दो शत्रु ग्रह ऐसी पोजीशन में होते हैं तो व्यक्ति चिंतित होता है कि प्रत्येक काम रुक जाता है। रुकता नहीं है ठोस स्थिति के रूप में सामने आता है। आप जो भी हासिल करेंगे उसके अंदर एक तात्विक अन्वेषण रहेगा। एक स्थिरवादी सोच भी होगी। जब भी रफ्तार और धैर्य का समागम हो जाता है व्यक्ति कर्तव्यनिष्ठा के पथ पर अलग तरीके से कार्य करने लगता है। ये युति ब्लाकेज जरूर देती है, ये युति मन में नकारात्मकता जरूर देती है, किन्तु जिसके साथ अनुभव मिला वहां विजय का शीर्षस्थ प्रतिनिधि भी वो व्यक्ति बनकर उभरता है। ये अनुभव जनित स्थितियां है, जिसको ज्योतिष के माध्यम से जानने की ओर जाते हैं। जब भी शनि देव की साढ़े साती का अंतराल चल रहा हो हम हनुमंत उपासना की ओर जाएं और हम साथ ही साथ में जो दशरथकृत शनि स्त्रोतम आदि का वाचन-श्रवण करना चाहिए। जब जातक मांगलिक स्थितियों के साथ में हो और एक दोषपूर्ण तत्व सामने आ रहा हो, रफ्तार बहुत ज्यादा हो, अनुभव के साथ जब सिर्फ पछतावे साथ हो तो कार्तिकेय की उपासना महाधिसेनापति की उपासना जरूर करनी चाहिए।
I have this yuti in fifth houses.
ReplyDeleteजी पूजा जी..
DeleteMangal - Shani Drishti sambandh in 1st and 7th house will also yield the same effect ?
ReplyDeleteजी विषय सम्बन्धित जानकारी के लिये आप हमारे जोधपुर कार्यालय के फोन नंबर 8905521197 पर सम्पर्क कर सकते हैं। धन्यवाद।
Deleteजी धन्यवाद
ReplyDeleteKundali dikhana chahta hoon
ReplyDeleteजी आप हमारे जोधपुर कार्यालय के फोन नंबर 8905521197 पर सम्पर्क कर सकते हैं। धन्यवाद।
Delete7891175240
ReplyDeleteबहुत बढ़िया जानकारी,इससे हमें जीवन में नया कुछ करने का मौका जरूर मिलता है,शनि हमें धैर्य देते हैं,वहीं मंगल रफ्तार ,शानदार गुरुजी इसी तरह जानकारी देते रहे
ReplyDeleteजी धन्यवाद
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