मेष लग्न की कुण्ड़ली में तृतीय भाव में बृहस्पति का होना. Jupiter 3rd house in Aries ascendant horoscope



मंगल प्रधान लग्न हो और बृहस्पति बुध के राशिस्थान में हो यानि तृतीय भाव में हो तो बृहस्पति प्रथमतया उपचय स्थान में हो जाते है और दूसरी बात शत्रु राशिस्थान में भी होते है एक और बुध जहां मानसिक चेतना के अधिपति है। तो वहीं दूसरी ओर बृहस्पति ज्ञान के अधिपति है। इसी वजह से ये टकराव इतना बेहतर नहीं है। 

तो साथ ही साथ यहां ये भी गौर करने लायक बात है कि बृहस्पति नौकरी पेशा जीवन में तो उन्नति दिलवाते है किंतु कर्म में महत्वकांक्षाएं शामिल नहीं हो पाती इसलिए धीमापन बना हुआ रहता है। हालांकि अनजाने तौर पर ही सही बृहस्पति के भाग्य भाव को यानि अपने मूल त्रिकोण को देखने की वजह से व्यक्ति के जीवन में प्रमुखतया वृद्धि बहुत आसानी से मिलती है भाग्य का सहयोग मिलता है। आध्यात्मिक चिंतन पनपता है। ऐसा व्यक्ति किसी को भी सलाह देता है तो वो गलत नहीं होती तथा 5वीं दृष्टि से जब बृहस्पति गृहस्थ भाव को देखते है तो गृहस्थ में शालीनता बनती रहती है। विचारों में जो अंतर आता है, व्यक्ति अपनी सूझ-बूझ के सहारे उसे दूर कर देता है। व्यापारिक साझेदारियां लम्बे समय तक नहीं टिकती, किंतु शुरूआती स्तर पर फायदा देती है।

मानसिक संघर्ष पूरे जीवन बने रहते है। 9वीं दृष्टि निवेश में लाभ देती है तथा व्यापारिक जीवन में भी व्यक्ति दूर दृष्टिभरे कार्य करता है। 

तो वहीं पर द्वादशेश यानि व्यय भाव के अधिपति का पराक्रम में होना खर्चों में से भी व्यक्ति के पराक्रम को बढ़ाता है। कुल जमा जोड़ बृहस्पति की ये स्थिति यहां मध्यम परिणाम देती है।


Comments

  1. Kindly comment on mesh lagna with jupiter.saturn.sun and moon in ninth house.
    Regards

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    1. जी जरुर इस पर भी लेख शीघ्र प्रस्तुत किया जायेगा

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