पहचानें समय की गतिविधि को (Identify Time Activity)

 कई बार हमसे प्रश्न पूछा जाता है कि रुपया आता भी है और जाता उसी रफ्तार से है। यानि कि ठहरता नहीं है। मां लक्ष्मी की कृपा है तो सही, किन्तु कहीं-न-कहीं लगता है वो जल्दी नाराज हो जाती है और जो एक स्थिरता, संचय की वृत्ति और प्रवृत्ति बननी चाहिए उसमें एक कमी दिखाई देती है तो इसके लिए क्या किया जाए, किस तरह के उपायों के साथ में चला जाए। सबसे पहले मैं आपसे बारम्बार यही नम्र निवेदन करता हूं कि हम किसी भी स्तर को पहचानने से पहले समय की गतिविधियों को पहचान कर चलें कि समय किस तरह का इशारा हमारे लिए कर रहा है। 

मान लीजिये कि आपने देव गुरु वृहस्पति की दशा में अच्छा-खासा धनागमन का स्तर खुद के लिए बनाया। फाइनेंसियल गेन हुआ। किन्तु जैसे ही शनि देव की दशा का अंतराल आया और उसके बाद में शनि देव एक तरह से सप्तमेश और अष्टमेश की स्थितियों के साथ में विराजमान रहे और बैर-भाव की पोजीशन में विराजित रहे। ऐसे खर्चे निकल कर आते चले गए कि जिसके ऊपर रोकथाम करना हमारे लिए संभव ही नहीं हुआ। शुक्र द्वादश में या फिर सैकिंड हाउस में विराजमान है। लक्षाधिपति योग बनाए हुए हैं। फाइनेंसियल गेन एक रफ्तार के साथ में होता हुआ दिखाई दिया किन्तु हमको मैटेरियलस्टिक लग्जरी चाह इतनी रही कि  हम उसके ऊपर नियंत्रण स्थापित नहीं कर पाए। हमको सबसे पहले एक जड़ मूल को पकडऩे की आवश्यकता रहती है। 

एक व्यक्ति कहता है कि मेरे जीवन में रोगों के ऊपर खर्चे बारम्बार होते रहे हैं। ऐसा नहीं कि मेरा व्यापार नहीं चला, ऐसा नहीं कि मैंने नौकरी के अंदर तरक्की हासिल नहीं की, किन्तु जो गेन हुआ वह व्यवस्थित तौर के ऊपर दूसरी ओर लगता चला गया। कोई व्यक्ति कहता है कि संतान पक्ष के साथ में ऐसे एक्सपेंसेस निकल कर आए कि उसका नियंत्रण ही संभव नहीं हो पाया। किसी व्यक्ति विशेष की स्थिति यह रहती है कि गृहस्थ जीवन के साथ ऐसे डिमांडिंग पोजीशन रही कि हम जो है एक तरह से समर्थ ही नहीं हो पाए। 

एक व्यक्ति की स्थितियां यह कहती है कि साब मैंने गेन तो बहुत किया, किन्तु लगातार एसेट की पोजीशन की ओर रुपया और पैसा लगता चला गया। भाइयों को सैटल करने के अंदर, बहनों को सैटल करने के अंदर, उनकी शादी-विवाह करने के भीतर एक्सपेंसेस लगते चले गए। तो हमको वहां स्थिरता लाने के लिए उसी ग्रहीय व्यवस्था के अनुरूप कुछ न कुछ उपाय की आवश्यकताएं रहती है जिससे कि एक उस स्तर के ऊपर स्टेब्लिटी बन पाए। हम कहीं पर भी एक लीकेज देखते हैं तो उस पोजीशन को चैक करते हैं और वहीं पर रिपेयर करने की तरफ जाते हैं। यही इस विधा के साथ में भी एक बहुत बड़ा विधान है कि हम जहां पर लीकेज देखें या जहां से आउटलुक की पोजीशन ज्यादा देखें वहां पर नियंत्रण स्थापित करें और यही धन संचय की प्रवृतियां बढ़ाने वाली होती है।

 हम अगर किसी भी फ्लो को रोकते हैं तो जीवन के अंदर एक तरह से खुशियों में कमी लेकर आने वाले होते हैं। किन्तु कहीं स्थिरता लेकर आते हैं तो धन संचय की ओर जाते हैं। आप सबसे पहले यह मालूम करें कि मार्ग कौनसा है, कहां से एक्सपेंसेज निकल कर आ रहे हैं, और उसके बाद व्यवस्थित तौर के ऊपर नेक्सट स्टेप लेने की ओर जाया जाए, हालांकि मैं आगे आने वाले समय अंतराल में कुछ कार्यक्रमों के साथ में इसकी और गहराई के साथ में विस्तृत चर्चा करने वाला रहूंगा। किन्तु इस पैसीफिक मोड के ऊपर यह जो पोजीशन हमारे सामने है इसका बेनिफिट हमको उठाना चाहिए। यानि कि दशा कौन सी आ रही है, और वह किस तरह के एक्सपेंसेज लेकर आ सकती है। पहले से ही व्यक्ति विशेष ने वहां पर ध्यान देना शुरू कर दिया तो फिफ्टी पर्सेनेंट पोजीशन में तो आप वहीं पर ही संचय की प्रवृतियां और वृतियां है उसको बढ़ा देते हैं तो वहीं पर श्रीसूक्तम् का जो एक तरह से वाचन होता है या श्रवण होता है वो भी व्यक्ति के धनागमन की संभावनाओं को बढ़ाता है। और एक फ्लो को मेंटेन करने वाली पोजीशन में लेकर आता है।

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