स्व चयनकर्त्ता (Self Selector)


खेल में अगर श्रेष्ठ खिलाड़ियों को चुनना हो तो चयनकर्त्ता खुबियों और हुनर के आधार पर एक टीम बनाते हैं, जिससे कि उस खेल की जरुरत के आधार पर एक बेहतर लोगों का दल बनाया जा सके। किसी भी क्षेत्र में चयनकर्त्ता महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। कम्पनी में साक्षात्कार लेने वाला व्यक्ति भी एक चयनकर्त्ता हैं, व्यापार में किसको कौनसा कार्य देना हैं व्यापारी चयनकर्त्ता बनकर ये भी निर्धारित करता हैं। 
व्यक्ति स्वयं भी अगर स्वयं के लिए चयनकर्त्ता बने तो कैसे परिणाम आ सकते हैं ये सोच कर देखिएगा। विचारों का चयन, कार्य करने का चयन, किन लोगों के साथ कार्य करना हैं और कितना खुद को ढ़ालना हैं, कितना ढ़लना हैं। निराशाओं के दौर में अधिक डर का चयन करना हैं अथवा हिम्मत का, खुशी के समय अहम का चयन करना हैं या सरलता का। 
हम हर मोड़ पर चयनकर्त्ता हैं और अपनी खुबियों पर किस तरह के कार्य का चयन करते हैं उसके बाद कितने घंटों की मेहनत का चयन करते हैं इसके साथ जीवन में आध्यात्मिकता की बात कंरू तो अकेलेपन का चयन करते हैं या एकांत का ये भी हम पर निर्भर करता हैं। 
जवानी में संघर्षों के साथ चलते हुए चैन (सुकून) के चयन की तरफ तो नहीं जा रहें हैं। जिम्मेदारियों के साथ जो उम्र चल रही हों, हर क्षण खुद के जीवन में बोझिल होने का चयन तो नहीं कर रहें हैं। उम्र जब थोड़ा थका चुकी हों, कमर थोड़ी झुक चुकी हों तो उस समय उम्र के उस दस्तखत पर हम डबडबाई आंखों से धुंधलके का चयन तो नहीं कर रहें हैं।  
हम सब के जीवन के पलों में खुशियों के, आशाओं के, निर्भयता के, पलों के चयनकर्त्ता बनें और सरलता की गहरी ठंडक मन के भीतर पैठनें दें। 

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